Uttar Pradesh

वाराणसी में गंगा की लहरें हुईं स्थिर, 24 घंटे में 37 सेमी जलस्तर में वृद्धि

छत पर गंगा सेवा निधि की आरती

—हरिश्चंद्र घाट पर मसाननाथ मंदिर लहरों में समाया, घाटों का आपसी संपर्क टूटा

वाराणसी, 12 जुलाई (Udaipur Kiran) । वाराणसी में गंगा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ने के बाद अब फिलहाल स्थिर हो गया है, लेकिन खतरा पूरी तरह टला नहीं है। केंद्रीय जल आयोग (राजघाट, वाराणसी) के अनुसार शनिवार सुबह 8 बजे गंगा का जलस्तर 66.07 मीटर दर्ज किया गया, जो पिछले 24 घंटों में 37 सेंटीमीटर की वृद्धि दर्शाता है।

वाराणसी में गंगा का चेतावनी स्तर 70.26 मीटर और खतरे का निशान 71.26 मीटर है। गौरतलब है कि वर्ष 1978 में गंगा का जलस्तर 73.901 मीटर तक पहुंच गया था, जब शहर के बेनियाबाग और गोदौलिया क्षेत्रों की सड़कों पर नावें चलने लगी थीं।

—घाटों पर संकट गहराया

जलस्तर में वृद्धि के कारण हरिश्चंद्र घाट स्थित प्राचीन बाबा मसाननाथ मंदिर जलमग्न हो गया है। मंदिर का ऊपरी हिस्सा और बाबा का विग्रह ही अब जल के ऊपर नजर आ रहा है। मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाटों पर शवदाह प्रक्रिया भी प्रभावित हो रही है। दशाश्वमेध घाट पर इस मानसून में चौथी बार गंगा आरती स्थल को स्थानांतरित करना पड़ा है। गंगा सेवा निधि द्वारा अब आरती संस्था के कार्यालय की छत से संपन्न कराई जा रही है।

—84 घाटों का संपर्क टूटा

बढ़ते जलस्तर के चलते ब्रह्मा घाट, पंचगंगा घाट, गाय घाट, गोला घाट, सक्का घाट, प्रह्लाद घाट, राजघाट और नमो घाट की सीढ़ियां पूरी तरह डूब चुकी हैं। घाटों के बीच आपसी संपर्क मार्ग भी जलमग्न हो गए हैं, जिससे लोग अब गलियों के रास्ते से आ-जा रहे हैं। शीतला मंदिर की सीढ़ियों तक भी अब गंगा की लहरें पहुंच चुकी हैं।

—वरुणा नदी में भी उफान

गंगा की सहायक नदी वरुणा में भी शुक्रवार रात से जलस्तर में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। नक्खी घाट, शैलपुत्री मंदिर, सीधवा घाट, उंचवा और पुलकोहना के तटवर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोग सतर्क हो गए हैं।

—ग्रामीण इलाकों में बाढ़ का खतरा

जिले के ढाब क्षेत्र में बाढ़ की आशंका तेज हो गई है। गंगा के किनारे सब्जी की खेती करने वाले किसानों की चिंता बढ़ गई है, क्योंकि बाढ़ का पानी अब खेतों में प्रवेश करने लगा है। चिरईगांव क्षेत्र में स्थित ढाब इलाके में एक ओर गंगा और दूसरी ओर ‘सोता’ में पानी भर जाने से आवागमन पूरी तरह से बाधित हो गया है। प्रशासन की नजर गंगा और उसकी सहायक नदियों के जलस्तर पर बनी हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी बाढ़ से निपटने की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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