HEADLINES

गांधी ने आचरण एवं आत्मीयता के साथ समरसता स्थापित करने के कई प्रयोग किए : अर्जुन राम मेघवाल

इविवि में सम्बोधित करते अर्जुन राम मेघवाल

– इविवि और हाई कोर्ट का एक साथ होना ज्ञान और न्याय का अद्भुत समागम: मुख्य न्यायाधीश अरूण भंसालीप्रयागराज, 19 सितम्बर (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद विश्वविद्यालय के गांधी विचार एवं शान्ति अध्ययन संस्थान द्वारा आज “भारतीय संस्कृति और वैश्विक समरसताः गांधीवादी मूल्यांकन“ विषय पर विचार गोष्ठी आयोजित की गई। केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री तथा संसदीय कार्य राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने ‘अहिंसा परमो धर्मः और सत्यमेव जयते’ के सिद्धांतों को एक सूत्र में जोड़ते हुए कहा कि गांधी ने आचरण तथा आत्मीयता के साथ समरसता स्थापित करने के कई प्रयोग सफल किये। उनके चम्पारण सत्याग्रह में महिलाओं को खुले में शौच की व्यवस्था सुधारने को इसी तरह के आचरण का आत्मीयता के साथ सुधार का प्रयोग बताते हुए उन्होंने कहा कि यह महात्मा गांधी का जनभागीदारी का पहला सफल प्रयोग था।

इविवि के डॉ ईश्वर टोपा भवन ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस में इंग्लैंड में अपने सादे वस्त्रों के साथ जाकर प्रतिभागिता की और यह साबित किया कि आचरण शुद्ध हो तो बड़े-बड़े महाराजा और महारानी झुक सकते हैं। उन्होंने कहा कि समकालीन वन अर्थ वन फैमिली वन फ्यूचर कार्यक्रम महात्मा गांधी के समरसता के दर्शन के समान ही हैं। महात्मा गांधी के पंचतत्व का सिद्धांत इसी ओर इंगित करता है कि जब सभी तत्व सभी मनुष्यों और प्रकृति में एक समान है तो सभी लोग भी समान हैं। यही भारतीय संस्कृति में निहित एकरूपता का भाव विवेकानंद और महात्मा गांधी जैसे अनेक महापुरुष विश्व में लेकर गए।

मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि महात्मा गांधी ने व्यक्ति की गरिमा को सर्वोच्च रखा। आचरण और नैतिकता से जीने पर महात्मा की उपाधि मिलती है। वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में जब हम यूक्रेन और रूस अब और इजरायल के संघर्षों को देखते हैं तो यह संदर्भ बहुत सम्यक हो जाता है कि हमको आत्मीयता के साथ नैतिकता और आचरण करना होगा और जब दूर स्थान पर हो रहे इन संघर्षों के विषय में भारत के प्रयागराज शहर में समरसता के संदर्भ में विचार किया जाता है तो यह गांधी के विचारों को बहुत ही सामयिक बना देता है और यही गांधी के वैष्णव जन का सार भी है जो पराई पीर को समझता है।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरूण भंसाली ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के राष्ट्र निर्माण में योगदान का जिक्र करते हुए कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय और उच्च न्यायालय का इलाहाबाद में एक साथ होना ज्ञान और न्याय का अद्भुत समागम है। उन्होंने कहा कि विश्व में संघर्ष और असमानता बढ़ रही है तो भारत की संस्कृति पथ प्रदर्शन कर सकती है। उन्होंने कहा मानवता को एकजुट रहने का संदेश तभी मिल सकता है जब शांति के मार्ग से संघर्ष से सह अस्तित्व की ओर बढ़ा जाए। महात्मा गांधी के सर्वोदय का सिद्धांत सिखाता है कि विकास तभी संभव है जब वह समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे। न्यूज के इस दौर में सत्य और संवाद हमको समरसता की ओर ले जाते हैं। आज एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड का विचार गांधी के समरसता और समता के विचारों का सार है और दर्शाता है कि गांधी आज भी सार्वभौमिक रूप से सार्थक हैं। इस दौरान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एम सी त्रिपाठी भी उपस्थित थे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो संगीता श्रीवास्तव ने कहा कि मेघवाल जी द्वारा लिखी गई पुस्तक को अपनी पत्नी को समर्पित करना और उनकी पत्नी का जीवन की यात्रा में हर प्रकार से उनकी प्रेरणा और संबल बनना, महात्मा गांधी और बा के रिश्ते की याद दिलाते हैं। और जिस प्रकार महात्मा गांधी ने अपनी किताब “माई एक्सपेरिमेंट विद ट्रुथ“ में अपने जीवन के अनुभव सार्वजनिक किए हैं, इस प्रकार मेघवाल जी ने बड़ी सहजता से अपने जीवन की किताब खोलकर रख दी है।

उन्होंने कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय का महात्मा गांधी से पुराना नाता है। महात्मा गांधी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्रों को जब संबोधित किया तो यही सिखाया की असली स्वतंत्रता कटु सत्य को आसानी से कह देना है और किसी समाज में आम आदमी जब सुगमता से रोटी कमाता है तभी समाज समान होता है। उनकी हरी पोथी नाम की किताब का इलाहाबाद विश्वविद्यालय स्थित प्रेस से प्रकाशन हुआ और देश भर में उनके विचारों को पढ़ा और समझा गया।

इस अवसर पर गांधी विचार एवं शांति अध्ययन संस्थान द्वारा प्रकाशित जर्नल गांधीपथ का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत एवं विषय प्रवर्तन गांधी संस्थान के निदेशक प्रो राकेश सिंह ने तथा धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव प्रो आशीष खरे ने किया। कार्यक्रम में डॉ दीपाली पंत जोशी, अमित सक्सेना, विश्वविद्यालय अन्य के अधिवक्तागण, प्रो हर्ष कुमार, प्रो अजय जेटली, प्रो कुमार बीरेंद्र अधिष्ठाता विधि संकाय, प्रो आदेश कुमार, कुलसचिव प्रो आशीष खरे अन्य शिक्षक एवं विधि संकाय के छात्र प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

—————

(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र

Most Popular

To Top