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समाज को प्रौद्योगिकी दुरुपयोग के नुकसान से बचाने के लिए लाया गया गेमिंग विधेयक

नई दिल्ली, 20 अगस्त (Udaipur Kiran) । केन्द्रीय मंत्री अश्वनी वैष्णव ने बुधवार को लोकसभा में ऑनलाइन गेमिंग को विनियमित करने से जुड़ा विधेयक पेश किया। विधेयक का उद्देश्य समाज को प्रौद्योगिकी के दुरुपयोग के संभावित नुकसान से बचाना है। एक अनुमान के अनुसार ऑनलाइन गेमिंग से 45 करोड़ लोगों को 20 हजार करोड़ का नुकसान हुआ है। इसी कारण से ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन और विनियमन विधेयक, 2025 पेश किया है।

सरकार के अनुसार डिजिटल इंडिया, यूपीआई, 5जी और सेमीकंडक्टर जैसे क्षेत्रों में हुई प्रगति ने देश को नई पहचान दी है, लेकिन इसके साथ ही डिजिटल क्षेत्र में नए जोखिम भी सामने आए हैं। इसलिए तकनीक के लाभ को बनाए रखते हुए उसके दुष्प्रभावों से समाज को बचाना जरूरी है। इसी दृष्टिकोण से सरकार यह विधेयक लाया गया है।

सरकार का मानना है कि ऑनलाइन मनी गेमिंग से जुड़ी लत, वित्तीय नुकसान और यहां तक कि आत्महत्या जैसे गंभीर परिणामों को ऐसी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाकर रोका जा सकता है। इसके अतिरिक्त, ऑनलाइन मनी गेमिंग प्लेटफ़ॉर्म का अक्सर वित्तीय धोखाधड़ी, मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवाद के वित्तपोषण और राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने वाली मैसेजिंग गतिविधियों के लिए दुरुपयोग किया जाता है।

इस विधेयक का उद्देश्य ई-स्पोर्ट्स और सामाजिक खेलों को बढ़ावा देना है, जबकि ऑनलाइन सट्टा, जुआ और धन-आधारित खेलों पर सख्त प्रतिबंध लगाया गया है। इसके माध्यम से नवाचार को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ नागरिकों, विशेषकर युवाओं और परिवारों को वित्तीय व मानसिक नुकसान से बचाना लक्ष्य है।

विधेयक के प्रमुख प्रावधानों के अनुसार ई-स्पोर्ट्स को वैध खेल की मान्यता दी गई है। युवा मामलों और खेल मंत्रालय इसके लिए दिशानिर्देश तय करेगा। प्रशिक्षण केंद्र, शोध संस्थान और प्रौद्योगिकी मंच स्थापित किए जाएंगे। साथ ही प्रोत्साहन योजनाएं और जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे ताकि ई-स्पोर्ट्स को राष्ट्रीय खेल नीति में समाहित किया जा सके।

विधेयक में सामाजिक और शैक्षिक खेलों के लिए केंद्र सरकार को मान्यता, वर्गीकरण और पंजीकरण की शक्ति दी गई है। ऐसे खेलों के विकास और प्रसार के लिए सुरक्षित प्लेटफॉर्म बनाए जाएंगे। इन खेलों को सांस्कृतिक और शैक्षिक मूल्यों से जोड़कर कौशल विकास और डिजिटल साक्षरता बढ़ाने पर बल दिया जाएगा।

विधेयक में ऑनलाइन मनी गेम्स पर पूर्ण प्रतिबंध का प्रावधान है। इसमें कौशल-आधारित, भाग्य-आधारित या मिश्रित सभी प्रकार के धन-आधारित खेल शामिल हैं। ऐसे खेलों का प्रचार, विज्ञापन और उनसे जुड़ी वित्तीय लेन-देन गतिविधियों को गैरकानूनी घोषित किया गया है। बैंक और भुगतान प्रणाली को भी इनसे जुड़े लेन-देन रोकने के निर्देश दिए गए हैं।

विधेयक के कानून बनने के बाद केंद्र सरकार एक राष्ट्रीय ऑनलाइन गेमिंग प्राधिकरण स्थापित करेगी। यह प्राधिकरण खेलों का पंजीकरण, श्रेणीकरण और शिकायतों का निवारण करेगा। साथ ही यह यह तय करेगा कि कोई खेल मनी गेम की श्रेणी में आता है या नहीं। प्राधिकरण दिशा-निर्देश और आचार संहिताएं भी जारी करेगा।

विधेयक के तहत अपराध और दंड का स्पष्ट उल्लेख किया गया है। ऑनलाइन मनी गेमिंग की पेशकश करने पर तीन साल तक की कैद और एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। विज्ञापन करने वालों पर दो साल की कैद और 50 लाख रुपये तक का जुर्माना निर्धारित है। बार-बार अपराध करने वालों के लिए सजा और अधिक कठोर होगी।

विधेयक में सरकार को जांच और प्रवर्तन शक्तियां भी प्रदान की गई हैं। अधिकृत अधिकारी अपराध से जुड़े डिजिटल या भौतिक संपत्ति की जब्ती कर सकते हैं और गंभीर मामलों में बिना वारंट गिरफ्तारी कर सकते हैं।

विधेयक के सकारात्मक प्रभावों में रचनात्मक अर्थव्यवस्था को बढ़ावा, युवाओं को डिजिटल कौशल आधारित खेलों में भागीदारी का अवसर और सुरक्षित डिजिटल वातावरण देना शामिल है। यह भारत को जिम्मेदार गेमिंग नवाचार और डिजिटल नीति निर्माण में वैश्विक नेतृत्व की ओर अग्रसर करेगा।

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(Udaipur Kiran) / अनूप शर्मा

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