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कोल इंडिया खदान दुर्घटना की अनुग्रह राशि बढ़ाकर 25 लाख रुपये करेगी: जी किशन रेड्डी

प्रेंस कांफ्रेंस को सबोधित करते हुए केंद्रीय कोयला मंत्री जी किशन रेड्डी
प्रेंस कांफ्रेंस को सबोधित करते हुए केंद्रीय कोयला मंत्री जी किशन रेड्डी

– सीआईएल के आधुनिकीकरण और श्रमिक कल्याण में सुधार के लिए कई फैसलों की घोषणा

नई दिल्‍ली, 12 सितंबर (Udaipur Kiran) । केंद्रीय कोयला मंत्री जी किशन रेड्डी ने शुक्रवार को कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के आधुनिकीकरण और श्रमिक कल्याण में सुधार के द्देश्य से कई फैसलों की घोषणा की। उन्‍होंने कहा कि सीआईएल ने खदान दुर्घटना की स्थिति में श्रमिकों की मौजूदा अनुग्रह राशि बढ़ाकर 25 लाख रुपये करने का फैसला लिया है।

केंद्रीय कोयला मंत्री जी. किशन रेड्डी ने आज रांची में आईबीएम के क्षेत्रीय कार्यालय के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए नवनिर्मित कार्यालय परिसर का उद्घाटन किया। इस अवसर पर कोल इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक पी. एम प्रसाद भी उपस्थित थे। इसके बाद उन्होंने एक प्रेंस कांफ्रेंस में कहा कि देश की सबसे बड़ी खनन कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड ने खदान दुर्घटना की स्थिति में श्रमिकों के मुआवजे को मौजूदा 15 लाख रुपये से बढ़ाकर 25 लाख रुपये करने का फैसला लिया है। उन्‍होंने बताया कि संशोधित अनुग्रह राशि विश्वकर्मा दिवस पर 17 सितंबर से लागू होगी।

जी. किशन रेड्डी कहा कि एक और बड़े फैसले के तहत कोल इंडिया लिमिटेड ने पहली बार 17 सितंबर से कर्मचारियों के लिए वर्दी लागू करने का फैसला लिया है। रेड्डी ने कहा कि कोल इंडिया 17 सितंबर से अपने कर्मचारियों के लिए एक करोड़ रुपये और संविदा कर्मचारियों के लिए 40 लाख रुपये का अतिरिक्त (दुर्घटना) बीमा भी देगी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत सरकार ने पिछले साल कोयले के आयात में कटौती करके 60 हजार करोड़ रुपये की बचत की है। महत्वपूर्ण खनिजों की खोज के लिए सरकार 32 हजार करोड़ रुपये के राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन को लागू कर रही है।

रेड्डी ने कहा कि सरकार कोयला क्षेत्र में और अधिक सुधारों के लिए प्रतिबद्ध है, इसलिए कारोबारी सुगमता और ब्लॉक नीलामी में पारदर्शिता लाने के लिए भी कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों को इसमें भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अब तक हमने अर्जेंटीना और जाम्बिया में खोज कार्य शुरू कर दिए हैं।

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(Udaipur Kiran) / प्रजेश शंकर

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