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गुजरात प्रशासनिक सुधार आयोग की चौथी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी गई

गुजरात प्रशासनिक सुधार आयोग की चौथी रिपोर्ट मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को सौंपी गई
गुजरात प्रशासनिक सुधार आयोग की चौथी रिपोर्ट मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को सौंपी गई

राज्य के योजना ढाँचे में मूलभूत परिवर्तन लाकर नागरिकों को सीधा ही लाभ पहुँचाने वाली सिफारिशें

गांधीनगर, 21 अगस्त (Udaipur Kiran) । मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दिए गए विकसित भारत@2047 के संकल्प में विकसित गुजरात@2047 को अग्रसर रखने के ध्येय से राज्य शासन के प्रशासनिक ढाँचे एवं कार्यपद्धति में आवश्यक फेरबदल के लिए मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार डॉ. हसमुख अढिया की अध्यक्षता में गुजरात प्रशासनिक सुधार आयोग (जीएआरसी) का गठन किया था। इस संदर्भ में जीएआरसी द्वारा अब तक राज्य सरकार को तीन सिफारिश रिपोर्ट सौंपी गई हैं और उसकी कुल 25 सिफारिशें क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों में है।

जीएआरआरसी के अध्यक्ष डॉ. हसमुख अढिया के दिशा दर्शन में लगभग 9 सिफारिशों के साथ तैयार की गईं हैं। चौथी सिफारिश रिपोर्ट गुरुवार को मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को सौंपी गई। इस चौथी रिपोर्ट में विकेन्द्रित योजना तथा बजट व्यवस्था के संबंध में जो ऐतिहासिक सिफारिशें की गई हैं। इनके परिणामस्वरूप अपेक्षा व्यक्त की गई है कि इन सिफारिशों से लोककेन्द्रित विकास, पारदर्शिता तथा जिम्मेदारी के नए युग की शुरुआत होगी और मुख्यमंत्री के नेतृत्व में राज्य में गाँव से तहसील एवं जिले की योजना प्रक्रिया अधिक लोकतांत्रिक, प्रतिनिधित्व आधारित तथा जनकेन्द्रित बनेगी।

जीएआरसी की इस चौथी रिपोर्ट में गुजरात के योजना ढाँचे में मूलभूत परिवर्तन लाने वाली सिफारिशें की गई हैं, जो राज्य के नागरिकों को सीधा लाभ पहुँचाने वाली हैं। इन सिफारिशों द्वारा राज्य में विकेन्द्रित योजना को मजबूत बनाने एवं गाँवों को विकास प्रक्रिया के केन्द्र में लाने का महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।

इस रिपोर्ट की प्रमुख सिफारिशों में जिला योजना के बजट में आगामी पाँच वर्ष में लगभग सात से आठ गुना भारी वृद्धि, जिला योजना मंडल के स्थान पर जिला योजना समिति–निर्वाचित प्रतिनिधियों को बहुमत, योजना के लिए फिक्स कैलेंडर, तहसील स्तर पर एकीकृत समिति तथा विलेज डेवलपमेंट प्लान का समावेश होता है।

जिला योजना के बजट में आगामी पाँच वर्ष में लगभग सात से आठ गुना भारी वृद्धि

स्थानीय स्तर के बुनियादी कड़ीरूपी कार्यों के लिए जिला योजना का जो बजट वर्षों से स्थिर रहा है, उसमें अब आयोग द्वारा आगामी पाँच वर्षों में वार्षिक 10,000 करोड़ रुपये की भारी राशि की वृद्धि करने की सिफारिश की गई है। बजट की वृद्धि होने से अधिक सड़क मार्ग, अधिक स्कूल, अधिक स्वास्थ्य सुविधाएँ और अधिक रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे तथा ग्रामीण स्तर के जमीन से जुड़े लोगों की शासन में भागीदारी बढ़ेगी।

जिला योजना मंडल के स्थान पर जिला योजना समिति–निर्वाचित प्रतिनिधियों को बहुमत

राज्य में 1973 से जिला स्तरीय योजना के लिए जिला योजना मंडल अस्तित्व में हैं। रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि इस जिला योजना मंडल के स्थान पर जिला स्तरीय तमाम योजनाओं की मंजूरी अब से भारत के संविधान में दिए गए सुझाव के अनुसार जिला योजना समिति द्वारा दी जाए।

इतना ही नहीं जिला योजना समिति में जिला स्तर पर निर्वाचित प्रतिनिधियों को प्राथमिकता देकर पंचायत स्तर को अधिक सुदृढ़ बनाया जाएगा तथा जिला योजना समिति में जिले के प्रभारी मंत्री अध्यक्ष के रूप में बने रहेंगे। अब जिला स्तर पर योजनाएँ निर्धारित करने का अधिकार जनता के निर्वाचित प्रतिनिधियों के हाथ में आएगा और लोकतंत्र का वास्तविक अर्थ भी साकार हो सकेगा।

योजना के लिए फिक्स कैलेंडर

विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत कार्यों को तय करने से लेकर प्रशासनिक मंजूरी व टेंडरिंग तथा वर्क ऑर्डर जारी करने के लिए आयोग द्वारा एक फिक्स कैलेंडर की सिफारिश की गई है। इस कैलेंडर के अनुसार आगामी वर्ष की योजना प्रक्रिया इस वर्ष के जून-जुलाई माह से ग्रामीण स्तर पर शुरू होगी और ये सारी प्रशासनिक प्रक्रियाएँ इस प्रकार पूरी की जाएंगी कि आगामी वर्ष के अप्रैल माह से वास्तव में कामकाज शुरू हो सके तथा समयसीमा में कार्य पूरे हो सकें। इस प्रकार के कैलेंडर से योजना एवं क्रियान्वयन निर्धारित समयसीमा में पूर्ण हो सकेंगे एवं धन का श्रेष्ठ उपयोग व गुणवत्तायुक्त कार्य होंगे।

तहसील स्तर पर एकीकृत समिति

तहसील स्तर पर योजना मंजूर करने के लिए मौजूदा स्थिति में एक से अधिक समितियाँ अस्तित्व में हैं। इनमें सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत कार्यों को मंजूरी दी जाती है, परंतु इन अलग-अलग समितियों के कारण तहसील स्तर पर कई बार समन्वय के अभाव के चलते अनेक समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। अब आयोग द्वारा तहसील स्तर पर किसी भी कार्य की मंजूरी के लिए एक ही समिति ‘एकीकृत तहसील योजना’ समिति रखने की सिफारिश की गई है। इससे कार्य मंजूर होने में विलंब को रोका जा सकेगा तथा उलझन-दुविधा भी कम होगी। तहसील स्तर पर तेज एवं एकीकृत निर्णय लिए जाने से हर नागरिक को उसका सीधा लाभ भी मिलेगा।

विलेज डेवलपमेंट प्लान–नागरिकों की सीधी भागीदारी

हर गाँव स्वयं विलेज डेवलपमेंट प्लान तैयार करेगा और ग्रामसभा द्वारा इस विलेज डेवलपमेंट प्लान को मंजूर किया जाएगा। तहसील एवं जिला स्तर पर जिन कार्यों की योजना मंजूर की जाएगी, उन सभी योजनाओं के लिए कार्यों का चयन इस विलेज डेवलपमेंट प्लान से ही करना होगा। अब ग्रामीणजन स्वयं तय करेंगे कि उनके क्षेत्र में कौन-से कार्य होने चाहिए। इस प्रकार ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोग भी अब विकास में भागीदार बनेंगे तथा गांधीजी की स्वराज की कल्पना ‘गाँव अपना भविष्य स्वयं तय करे’ सही अर्थ में साकार होगी। इसके अतिरिक्त; ग्रामीण स्तर पर शिक्षा, पेयजल, स्वास्थ्य केन्द्र जैसी प्राथमिक सुविधाओं के लिए लोग स्वयं ही प्राथमिकताएँ तय कर सकेंगे।

राज्य में विकेन्द्रित योजना व्यवस्था को अधिक सुदृढ़ बनाने के लिए जीएआरसी की चौथी रिपोर्ट में जो अन्य सिफारिशें की गई हैं; उनमें एमएलए लोकल एरिया डेवलपमेंट से इतर सामान्य प्रशासन विभाग (योजना) के अधीनस्थ सभी योजनाओं के कार्यों के चयन के लिए अब एक ही प्रक्रिया का अनुकरण करने, टेक्नोलॉजी आधारित ट्रैकिंग सिस्टम, विकासशील तहसील के मानदंड नए सिरे से तय करने और परफॉर्मेंस आधारित जिम्मेदारी आदि सिफारिशें शामिल हैं।

जीएआरसी की चौथी रिपोर्ट की ये सिफारिशें जीएआरसी की वेबसाइट https://garcguj.in/resources पर अपलोड की गई हैं।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव एम. के. दास, मुख्यमंत्री के सलाहकार एस. एस. राठौड़, प्रशासनिक सुधार प्रभाग के प्रधान सचिव हारित शुक्ला, मुख्यमंत्री की अपर प्रधान सचिव अवंतिका सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव डॉ. विक्रांत पांडे तथा योजना प्रभाग की सचिव आर्द्रा अग्रवाल एवं जीएआरसी के अधिकारी उपस्थित रहे।

गाैरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2024 में राष्ट्रीय पंचायतीराज दिवस पर संकल्प किया था, ‘हमारी सरकार पंचायतीराज संस्थाओं को मजबूत बनाने तथा लोगों के सपनों को साकार करने के लिए निरंतर कार्यरत रहेगी।’ प्रधानमंत्री के इस संकल्प को गुजरात में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में गाँव से राज्य तक लोकतंत्र आधारित विकास मॉडल से साकार करने के उद्देश्य से जीएआरसी की इस चौथी सिफारिश रिपोर्ट में विकेन्द्रित योजना संबंधी सिफारिशें की गई हैं।—————

(Udaipur Kiran) / Abhishek Barad

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