
जयपुर, 14 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । यूपी के पूर्व उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने विप्र फाउंडेशन की ओर से नव निर्मित श्री परशुराम ज्ञानपीठ भवन निरीक्षण के दौरान वहां संचालित प्रतियोगी परीक्षा की कोचिंग क्लास के विद्यार्थियों का विशेष सेशन भी लिया।
विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि “संस्कारोदय की पहली पाठशाला परिवार होता है। परिवार में रहकर जो शिक्षा, अनुशासन और मूल्य हम सीखते हैं, वही जीवन भर हमारे व्यक्तित्व की आधारशिला बनते हैं। यदि परिवार मजबूत है, तो राष्ट्र स्वतः सशक्त होता है।
डॉ. शर्मा ने कहा कि विदेशों में शिक्षा की दिशा आज व्यवसाय और लाभ केंद्रित हो गई है, वहां का उद्देश्य “रोज़गार” है, जबकि भारत की शिक्षा का मूल उद्देश्य “चरित्र और संस्कार निर्माण” रहा है, इसलिए हमें स्वदेशी शिक्षा की ओर लौटना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि “स्वदेशी केवल वस्त्र या वस्तु तक सीमित नहीं, यह सोच का विषय है। जब हम अपनी मिट्टी, भाषा, संस्कृति और संसाधनों पर विश्वास करते हैं, तब सच्चे अर्थों में राष्ट्र निर्माण होता है। स्वदेशी चेतना आत्मनिर्भर भारत की आत्मा है।”
इसी प्रकार डॉ. शर्मा ने लक्ष्य आधारित शिक्षा पर बल दिया। राज्यसभा सांसद ने मंगलवार को श्री परशुराम ज्ञानपीठ का निरीक्षण करते हुए प्रसन्नता व्यक्त की कि विप्र फाउंडेशन के सूरत महाकुंभ में उन्होंने ही जयपुर में इस भवन की परिकल्पना करते हुए प्रस्ताव रखा था। उनका यह सपना आज साकार हो गया।
डॉ. दिनेश शर्मा ने संगठन के पदाधिकारियों से भी कहा कि वे सर्व समाज को जोड़ने का बीड़ा उठाएं,उसी में ब्राह्मणों की भलाई है।
इस अवसर पर विप्र फाउंडेशन के राष्ट्रीय महामंत्री पवन कुमार पारीक, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विमलेश शर्मा एवं ओ.पी. मिश्रा, राष्ट्रीय सचिव नरेंद्र हर्ष, ज़ोन-1 अध्यक्ष राजेश कर्नल, ज़ोन-1 महामंत्री सतीश शर्मा, राष्ट्रीय युवा समन्वयक मनोज पांडेय, ज़ोन-1 सचिव सुशील शर्मा, उपाध्यक्ष अजय पारीक, वीसीसीआई चेयरमैन नवीन शर्मा, देवेश पारीक, कार्तिक पारीक, दीक्षा हर्ष सहित अनेकों पदाधिकारी उपस्थित रहे।
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(Udaipur Kiran)
