
संस्कृति, परंपरा और स्वदेशी का अनूठा संगम बना सूरजकुंड दिवाली मेला
फरीदाबाद, 4 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । द्वितीय सूरजकुंड दिवाली मेला केवल स्वदेशी उत्पादों और हस्तशिल्प तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि सांस्कृतिक विरासत को भी जीवंत बना रहा है। मेला में लोक कलाकार पारंपरिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से आगंतुकों का मन मोह रहे हैं और उन्हें प्राचीन संस्कृति के गौरवशाली अतीत से भी जोड़ रहे हैं। कार्यक्रमों में नगाड़ा पार्टी, बीन पार्टी आदि की हरियाणवी लोक नृत्य और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने वातावरण को परम्परागत और उत्साहपूर्ण बना दिया है। दर्शक भी तालियों से कलाकारों का उत्साहवर्धन कर रहे हैं। इन्हीं कलाकारों में से रोहतक से आया महिला लोक कलाकारों का आरती समूह प्राचीन लोकगीतों से लोगों का ध्यान अपनी और आकर्षित कर रहा है। मेला में आए लोगों का कहना है कि ऐसे कार्यक्रम भारतीय परंपराओं को जीवित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सूरजकुंड दिवाली मेला पिछले साल की तरह इस बार भी संस्कृति, परंपरा और स्वदेशी का अनूठा संगम बनकर उभरा है। आइए, आप भी सूरजकुंड दिवाली मेला में संस्कृत कार्यक्रमों का आनंद लें और भारतीय संस्कृति की भव्यता से जुड़ें।
(Udaipur Kiran) / -मनोज तोमर
