Haryana

हिसार : गुरू और शिष्य संबंधों को आध्यात्मिकता की ओर मोड़ें : प्रो. नरसीराम बिश्नोई

श्री व्यास पूजा कार्यक्रम का शुभारंभ करते कुलपति प्रो. नरसीराम बिश्नोई

शिक्षा को फिर से संस्कारों और संवेदनाओं की धारा में बहाना होगा : प्रो. नरसीराम बिश्नोईभारतीय शिक्षण मंडल एवं गुजविप्रौवि के संयुक्त तत्वाधान में हुआ श्री व्यास पूजा कार्यक्रमहिसार, 2 अगस्त (Udaipur Kiran) । गुरु जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसीराम बिश्नोई ने कहा है कि हम गुरू और शिष्य के संबंधों को औपचारिकता से आध्यात्मिकता की ओर मोड़े। शिक्षा को फिर से संस्कारों और संवेदनाओं की धारा में बहाना होगा जिससे गुरू और शिष्य का संबंध ‘प्रेरणा और साधना’ का हो जाए। प्रो. नरसीराम बिश्नोई शनिवार काे भारतीय शिक्षण मंडल एवं गुजविप्रौवि के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित श्री व्यास पूजा कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित कर रहे थे। भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संयुक्त महामंत्री सुनील शर्मा कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे। विश्वविद्यालय के चौ. रणबीर सिंह सभागार में हुए इस कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय कार्य विभाग प्रमुख एवं हरियाणा प्रांत अध्यक्ष डा. जितेंद्र भाऱद्वाज ने की।प्रो. नरसीराम बिश्नोई ने कहा कि आज हम वेद व्यास जी का पूजन कर रहे हैं। यह अवसर केवल अनुष्ठान का नहीं है, बल्कि आत्म अवलोकन का भी है। हम सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने आचरण, शिक्षा पद्वति और संवाद के माध्यम् से गुरू के आदर्श को जिएंगे। जिससे हमारे विद्यार्थी भी केवल शिष्य नहीं बल्कि संस्कृति के वाहक बनकर उभरें। मुख्यवक्ता सुनील शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि भारत भूमि गुरूओं और महर्षि योगियों की भूमि है। वेद व्यास जी की पुण्य जन्मतिथी को गुरू पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। वेद व्यास आदि गुरू हुए हैं। उन्होंने पूरे ज्ञान को चार वेदों में संग्रहित किया। उन्होंने कहा कि गुरू हमेशा बड़ा होता है। सही मायने में गुरू की महिमा का वर्णन करना आसान नहीं है। उन्होंने चाणक्य को आदर्श गुरू और एकलव्य को आदर्श शिष्य बताया। डा. जितेंद्र भारद्वाज ने कहा कि गुरू शिष्य परंपरा आज भी भारत धरा पर पूर्ण रूप से विद्यमान है। जिस व्यक्ति का कोई गुरू नहीं होता, उसे निगूरा कहा जाता है। निगूरा अहंकारी होता है उसे कोई पसंद नहीं करता। उन्होंने कहा कि गुरू जंभेश्वर जी महाराज महान गुरू थे। उनकी शिक्षाओं को अपनाकर मानव स्वस्थ, उच्च विचारशील, पर्यावरण प्रेमी और ज्ञानवान बन सकता है।कार्यक्रम के संयोजक विज्ञान इन्टरनेशनल कॉलेज ऑफ एजुकेशन, धांसू (हिसार) के प्रो. रामनिवास सैनी थे। धन्यवाद संबोधन गुजविप्रौवि के प्रो. विनोद छोकर ने किया। मंच संचालन इंपीरियल कॉलेज हिसार के डा. कुलदीप आर्य ने किया। इस अवसर पर हिसार के विभाग संघ संचालक पवन जिंदल, जिला संघ संचालक भूपेंद्र, जिला सह संघ संचालक मोहित, सेवा भारती हरियाणा के प्रांत सहसंयोजक कमल सर्राफ, प्रांत कार्यवाहक हरियाणा एवं गुजविप्रौवि के ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट निदेशक डा. प्रताप मलिक, प्राध्यापक कार्य विभाग प्रमुख हिसार डा. मोहित आनंद वर्मा, जिला कार्यवाहक सतीश, गुजविप्रौवि के डा. तेजपाल व रामनिवास भी उपस्थित रहे।

(Udaipur Kiran) / राजेश्वर

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