Assam

विद्या भारती पूर्वोत्तर क्षेत्र का पंचपदी अधिगम शिक्षण पद्धति पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण वर्ग सम्पन्न

विद्या भारती पूर्वोत्तर क्षेत्र द्वारा पंचपदी अधिगम शिक्षण पद्धति पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण वर्ग की तस्वीर।

गुवाहाटी, 20 जून (Udaipur Kiran) । विद्या भारती पूर्वोत्तर क्षेत्र द्वारा पंचपदी अधिगम शिक्षण पद्धति पर आधारित पांच दिवसीय प्रशिक्षण वर्ग का आयोजन 16 से 20 जून तक गुवाहाटी के मालीगांव स्थित सेवा भारती प्रकल्प, आदिंगिरि परिसर में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। प्रशिक्षण का उद्देश्य शिक्षकों को बालक-केंद्रित और व्यवहारिक शिक्षण पद्धतियों से परिचित कराना था।

विद्या भारती विगत 73 वर्षों से भारतीय जीवन मूल्यों एवं सांस्कृतिक चेतना पर आधारित स्वदेशी शिक्षा प्रणाली का देशभर में प्रचार-प्रसार कर रही है। संस्था द्वारा संचालित हजारों विद्यालयों में शिक्षा को केवल ज्ञानार्जन तक सीमित न रखकर चरित्र निर्माण, राष्ट्र चेतना एवं व्यावहारिक जीवन मूल्यों से जोड़ा गया है। इसी दृष्टिकोण के अंतर्गत विकसित पंचपदी अधिगम पद्धति— ज्ञान प्राप्ति, समझ, अनुप्रयोग, विश्लेषण और अभिव्यक्ति — विद्या भारती की एक विशिष्ट पहचान है, जिसे प्रारंभ से ही अपनाया गया है। गौरतलब है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी 2020) में भी इस पद्धति को मान्यता दी गई है, जिससे इसकी प्रासंगिकता और महत्ता और अधिक स्पष्ट होती है।

प्रशिक्षण वर्ग का शुभारंभ 16 जून को दीप प्रज्वलन एवं वंदना सत्र से हुआ। उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए विद्या भारती पूर्वोत्तर क्षेत्र के मंत्री डॉ. जगदींद्र रायचौधुरी ने प्रतिभागियों का स्वागत किया और पंचपदी पद्धति को अपने-अपने राज्यों में प्रभावी रूप से लागू करने का आह्वान किया। उन्होंने पंचपदी पद्धति को भारत की समृद्ध शैक्षणिक परंपरा का जीवंत उदाहरण बताया।

इस अवसर पर शिशु शिक्षा समिति, असम के अध्यक्ष कुलेंद्र कुमार भगवती भी उपस्थित रहे। उन्होंने पंचपदी पद्धति को भारतीय शिक्षा की नवाचारयुक्त और मूल्यनिष्ठ आधारशिला बताया।

प्रशिक्षण के दौरान विद्या भारती के अखिल भारतीय उपाध्यक्षद्वय डी. रामकृष्ण राव एवं अवनीश भटनागर तथा अखिल भारतीय प्रशिक्षण प्रमुख अशोक कुमार पांडा ने पूर्णकालिक सहभागिता के साथ प्रतिभागियों को गहन मार्गदर्शन प्रदान किया। प्रशिक्षण में कुल 20 सत्र आयोजित किए गए, जिनमें विशेषज्ञों द्वारा पंचपदी पद्धति— ज्ञान प्राप्ति, समझ, अनुप्रयोग, विश्लेषण एवं अभिव्यक्ति— की व्यावहारिक प्रस्तुति दी गई।

आज समापन सत्र आयोजित हुआ, जिसमें विद्या भारती पूर्वोत्तर क्षेत्र के संगठन मंत्री डॉ. पवन तिवारी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि पंचपदी पद्धति विद्यार्थियों को केवल ज्ञान ही नहीं देती, बल्कि उन्हें चिंतनशील, आत्मविश्वासी और उत्तरदायी नागरिक बनाती है।

इस अवसर पर अखिल भारतीय प्रशिक्षण प्रमुख अशोक पांडा, विद्या भारती नगालैंड के संगठन मंत्री पंकज सिन्हा, शिशु शिक्षा समिति, असम के महासचिव जगन्नाथ राजवंशी एवं अन्य अतिथियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

शिशु शिक्षा समिति के प्रचार प्रमुख मुकुटेश्वर गोस्वामी ने कहा कि समारोह के दौरान आठ प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा किए और प्रशिक्षण को अत्यंत उपयोगी और प्रेरणादायक बताया। समापन सत्र का संचालन दक्षिण असम के प्रशिक्षण प्रमुख पिंकू मालाकार ने किया। उन्होंने सभी प्रतिभागियों, प्रशिक्षकों व आयोजकों का आभार व्यक्त करते हुए इस पहल को शिक्षा में नवचेतना लाने वाला कदम बताया।

इस पांच दिवसीय प्रशिक्षण वर्ग में पूर्वोत्तर भारत के सभी प्रांतों से आए 63 शिक्षाविदों ने भाग लिया। इसमें प्रधानाचार्य, आचार्य, प्रशिक्षण प्रमुख एवं विद्वत् परिषद के सदस्य सम्मिलित थे। यह आयोजन न केवल पारंपरिक भारतीय शिक्षण पद्धतियों की पुनर्स्थापना की दिशा में एक सशक्त पहल है, बल्कि शिक्षा क्षेत्र में गुणात्मक और व्यवहारिक परिवर्तन की संभावनाओं को भी पुष्ट करता है।

(Udaipur Kiran) / श्रीप्रकाश

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