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पंजाब में हुए फर्जी एनकांउटर में पूर्व एसपी समेत पांच दोषी करार, सोमवार को सजा सुनाई जाएगी

– चार एसपीओ समेत सात नौजवानों का किया था एनकांउटर

चंडीगढ़, 01 अगस्त (Udaipur Kiran) । मोहाली स्थित सीबीआई कोर्ट ने पंजाब में आतंकवाद के दौरान वर्ष 1993 में हुए फर्जी एनकाउंटर केस में 33 साल बाद तत्कालीन एसएसपी और डीएसपी समेत 5 लोगों को दोषी करार दिया है। सभी दोषियों को सोमवार को सजा सुनाई जाएगी। दोषी ठहराए जाने के बाद सभी को गिरफ्तार कर लिया गया है। अदालत के फैसले पर पीड़ित परिवारों ने संतुष्टि जताई है।

दोषी करार दिए गए अधिकारियों में रिटायर्ड एसएसपी भूपेंद्रजीत सिंह, रिटायर्ड इंस्पेक्टर सूबा सिंह, रिटायर्ड डीएसपी दविंदर सिंह और रिटायर्ड इंस्पेक्टर रघुबीर सिंह व गुलबर्ग सिंह हैं। इन सभी को आईपीसी की धारा 302 और 120-बी के तहत सजा सुनाई जाएगी। बचाव पक्ष के वकीलों ने बताया कि यह मामला 1993 का है, जिसमें सात नौजवानों को दो अलग-अलग पुलिस मुठभेड़ों में मरा हुआ दिखाया गया था। दोषी करार दिए गए अधिकारियों पर युवकों को उनके घरों से उठाकर कई दिनों तक अवैध हिरासत में रखने और उन पर अमानवीय अत्याचार करने का आरोप था। इसके बाद तरनतारन में थाना वैरोवाल और थाना सहराली में दो अलग-अलग फर्जी पुलिस मुठभेड़ों की एफआईआर दर्ज की गईं। उन्हें झूठे एनकाउंटर में मार किया।

लंबी सुनवाई के दौरान अदालत में यह कहानी पूरी तरह झूठी साबित हुई। जिन सात लोगों को पुलिस ने मार दिया था, उनमें से चार पंजाब सरकार में एसपीओ के पद पर कार्यरत थे। उन्हें आतंकवादी बताकर फर्जी मुठभेड़ में मार दिया गया था। करीब 33 साल बाद आज इस मामले में अदालत का फैसला आया है। इस केस में 10 पुलिस कर्मियों को आरोपी बनाया गया था, जिनमें से पांच की ट्रायल के दौरान मौत हो गई। जिन लोगों को मारा गया, उनके परिवारों को न तो उनकी मृत देह (डेड बॉडी) सौंपी गई, न ही उनसे कोई संपर्क किया गया। यहां तक कि परिजनों को उनकी अस्थियां तक नहीं दी गईं।

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(Udaipur Kiran) शर्मा

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