
— अस्सीघाट पर मत्स्य जागरूकता गोष्ठी,मछुआ समुदाय के लोगों से मत्स्य संरक्षण में सहयोग देने की अपील
वाराणसी,15 नवम्बर (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश के वाराणसी में शनिवार शाम प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजनान्तर्गत राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड (एन०एफ०डी०वी०) के रिवर रैचिंग कार्यक्रम में गंगा नदी में 2.35 लाख मत्स्य अगुलिका ( मत्स्य बीज) छोड़े गए। छोड़ी गई भारतीय मेजर कार्प की मत्स्य अगुलिका 80-100 एम०एम० साईज की रही। इस अवसर पर मत्स्य विभाग की ओर से अस्सीघाट पर आयोजित गोष्ठी में जिला पंचायत अध्यक्ष वाराणसी पूनम मौर्य ने उपस्थित मछुआ समुदाय के लोगों को इस कार्यक्रम के उद्देश्य के बारे में बताया।
उन्होंने बताया कि गंगा नदी में रिवर रैंचिंग कार्यक्रम गंगा नदी के जैव विविधत को बढाने, मत्स्य संसधानों को मजबूत करने तथा स्थानीय अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। नदी में मत्स्य अगुलिका संचय कर मत्स्य संरक्षण को बढ़ावा एवं जल पर्यावरण के सन्तुलन को बनाये रखने का प्रयास किया जा रहा है। पूनम मौर्य ने कहा कि मछुआरा समाज सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़ा है इनका मुख्य व्यवसाय मत्स्य आखेट और मत्स्य विक्रय करना है। गंगा नदी में विलुप्त हो रहे मत्स्य प्रजाति एवं मत्स्य क्षरण के कारण इनका रोजी-रोटी संकट में है । भारत सरकार के पहल से गंगा नदी में मत्स्य बीज संचय कर मत्स्य सम्पदा को बढ़ावा देकर इनके आर्थिक एवं सामाजिक जीवन स्तर के परिवेश को ऊपर लाने का प्रयास रिवर रैचिंग कार्यक्रम के माध्यम से किया जा रहा है। जागरूकता गोष्ठी में मुख्य कार्यकारी अधिकारी मत्स्य राजेन्द्र कुमार ने मछुआ समुदाय के लोगों को विभाग द्वारा संचालित केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार की योजनाओं प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना, मुख्यमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना, निषाद राज बोट सब्सिडी योजना, मछुआ कल्याण कोष, किसान क्रेडिट कार्ड, मछुआ दुर्घटना बीमा के बारे में विस्तृत रूप से दी और मछुवारा समाज को इसका लाभ लेन के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि मत्स्य व्यवसाय गतिविधि से जुड़े लोगों का एन०एफ०डी०वी० पोर्टल पर पंजीकरण प्रारम्भ हो गया है। मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने बताया कि भारत विश्व में जलीय कृषि के माध्यम से मछली का दूसरा प्रमुख उत्पादक देश है। प्रमुख नदियों में एवं उनसे सम्बन्धित प्रमुख जलधाराओं में मूल मछली की प्रजातियां एवं उनकी संख्या विगत 10 वर्षों से घटती जा रही है। इसका प्रमुख कारण गंगा नदी में मत्स्य प्रजातियों की संख्या पिछले वर्षों में प्रदूषण, अत्यधिक दोहन तथा अवैध मत्स्यन के कारण कम हुई है। रिवर रैंचिंग से इन प्रजातियों का पुनरुद्धार संभव होगा और आने वर्षों में मत्स्य उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिलेगी। उन्होंने स्थानीय मछुआरों से जीरो साईज का जाल नदी में लगाकर छोटे मछली के बच्चों को न मारने का अनुरोध किया । मछली पकड़ने के लिए कीटनाशक का प्रयोग एवं प्रतिबंधित अवधि के दौरान ब्रूडर के शिकार न करने का भी अनुरोध किया गया। गोष्ठी में उपस्थित निषाद पार्टी के प्रदेश सचिव पंचम निषाद ने लोगों से मत्स्य संरक्षण में सहयोग एवं छोटे मछली के बच्चों का शिकार रोकने का आहवान किया । गोष्ठी में मत्स्य निरीक्षक शैलेन्द्र सिंह , मत्स्य निरीक्षक बलबीर सिंह , कनिष्ठ सहायक काजल सरोज, गोपाल निषाद, चन्दन यादव आदि भी मौजूद रहे।
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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी