
जयपुर, 2 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । राजस्थान हाईकोर्ट ने जेल विभाग में अनुकंपा नियुक्ति के लिए पहले नाबालिग बताकर नियुक्ति नहीं देने और बाद में देरी से आवेदन करना बताकर नियुक्ति से इनकार करने पर प्रमुख गृह सचिव, डीजी जेल और भरतपुर जेल अधीक्षक से जवाब तलब किया है। जस्टिस मनीष शर्मा की एकलपीठ ने यह आदेश अभिषेक की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए।
याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता के पिता जेल प्रहरी के रूप में तैनात थे। जनवरी, 2019 में सेवा के दौरान उनकी मौत हो गई। इस पर याचिकाकर्ता ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया। जिसे विभाग ने यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि वह अभी अवयस्क है। याचिकाकर्ता की ओर से साल 2022 में वयस्क होने पर पुन: विभाग में आवेदन किया गया। वहीं जेल विभाग ने भी याचिकाकर्ता के आवेदन में हुई देरी की शिथिलता देने के लिए गृह विभाग से सिफारिश की। याचिका में कहा गया कि जनवरी, 2024 गृह विभाग ने याचिकाकर्ता के आवेदन का निरस्त कर दिया। गृह विभाग ने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति तुरंत सहायता के लिए होती है और याचिकाकर्ता के पिता की मौत पांच साल पहले हो चुकी है। इतना समय बीतने के बाद उसे अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जा सकती। इसे चुनौती देते हुए कहा गया कि राज्य सरकार की ओर से शिक्षा विभाग सहित अन्य विभागों में अनुकंपा नियुक्ति के आवेदन में हुई देरी को माफ किया जाता है और कर्मचारी की मृत्यु के सालों बाद भी अनुकंपा नियुक्ति दी जाती है। याचिकाकर्ता ने पहली बार तुरंत ही आवेदन किया था, लेकिन वह अवयस्क था। ऐसे में बालिग होने के तत्काल बाद उसने आवेदन कर दिया था। ऐसे में उसे अनुकंपा नियुक्ति से इनकार नहीं किया जा सकता। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
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(Udaipur Kiran)
