West Bengal

बर्दवान विश्वविद्यालय में करोड़ों रुपये का वित्तीय घोटाला, रहस्यमयी व्यक्ति सुब्रत दास बना जांच का केंद्र

वर्धमान यूनिवर्सिटी में वित्तीय घोटाला

बर्दवान, 20 जून (Udaipur Kiran) । बर्दवान विश्वविद्यालय में करोड़ों रुपये के वित्तीय घोटाले का मामला सामने आया है, जिसमें एक रहस्यमयी व्यक्ति सुब्रत दास की भूमिका को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। विश्वविद्यालय के प्रशासनिक विभाग से लेकर शिक्षकों और कर्मचारियों तक सभी के बीच यही चर्चा है कि आखिर कौन है यह सुब्रत दास, और उसे विश्वविद्यालय की वित्तीय व्यवस्था तक पहुंच कैसे मिली?

जांच के अनुसार, विश्वविद्यालय के फिक्स्ड डिपॉज़िट पहले पंजाब नेशनल बैंक, स्टेशन बाजार, जेलखाना मोड़ शाखा में रखे गए थे। बाद में, फिक्स्ड डिपॉजिट की मियाद पूरी होने पर इस राशि को बैंक ऑफ बड़ौदा की जादवपुर शाखा के एक विशेष सेविंग्स अकाउंट (खाता संख्या : 57170100001893) में स्थानांतरित कर दिया गया, जो कि सुब्रत दास के नाम पर दर्ज है।

इस खाते में तीन चरणों में कुल एक करोड़ तिरानवे लाख नवासी हजार आठ सौ छिहत्तर की राशि जमा की गई। सबसे बड़ा सवाल यह है कि विश्वविद्यालय की फिक्स्ड डिपॉजिट की राशि को किसी व्यक्ति के निजी बचत खाते में कैसे ट्रांसफर किया गया? सूत्रों के अनुसार, उस समय के रजिस्ट्रार और वित्त अधिकारी ने इस ट्रांसफर का आदेश जारी किया था।

विश्वविद्यालय के वित्त विभाग के कर्मचारियों भक्त मंडल और एनामुल हक, तथा एक अन्य अधिकारी को इस खाते में हो रहे लेनदेन की जानकारी थी। बताया जा रहा है कि सुब्रत दास विश्वविद्यालय के गोल्डन जुबली बिल्डिंग में स्थित वित्त कार्यालय में नियमित रूप से आया-जाया करता था।

अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि सुब्रत दास की असली पहचान क्या है। क्या वह कोई ठेकेदार था, या फिर किसी प्रभावशाली व्यक्ति से जुड़ा हुआ? विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. निमाईचंद्र साहा के साथ उसके संबंधों की चर्चा भी हो रही है, क्योंकि सुब्रत का निवास स्थान कल्याणी क्षेत्र में है, जहां पूर्व कुलपति भी रहते थे।

हालांकि सीआईडी की पूछताछ में पूर्व कुलपति ने स्वयं को निर्दोष बताया है, लेकिन जांच में अब तक सामने आए दस्तावेजों से कुछ और ही संकेत मिल रहे हैं।

विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति डॉ. गौतम चंद्र के निर्देश पर गठित दो जांच समितियों—एक की अध्यक्षता विद्यासागर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अरिंदम गुप्ता और दूसरी की अध्यक्षता कला संकाय के डीन प्रो. प्रदीप चटर्जी ने की थी वे अपनी रिपोर्ट में विश्वविद्यालय की वित्तीय प्रक्रियाओं में गंभीर खामियों की ओर इशारा किया है।

अर्थशास्त्र के प्रोफेसर डॉ. भास्कर गोस्वामी ने कहा है कि अगर मान भी लें कि सुब्रत कोई ठेकेदार था, तो उसके द्वारा विश्वविद्यालय को दी गई आपूर्ति का कोई दस्तावेज तो होना चाहिए। सबसे अहम बात—एक निजी बचत खाते में इतनी बड़ी राशि कैसे ट्रांसफर की गई? यह लेनदेन सिर्फ करंट अकाउंट के माध्यम से संभव है।

कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता और विश्वविद्यालय के पूर्व सह-रजिस्ट्रार देबमाल्य घोष ने कहा है कि पूर्व कुलपति अगर कह रहे हैं कि उन्हें कुछ पता नहीं, तो यह उनकी प्रशासनिक विफलता दर्शाता है।

बर्दवान विश्वविद्यालय कर्मचारी संघ के महासचिव श्यामाप्रसाद बनर्जी ने कहा है किहम चाहते हैं कि सीआईडी दोषियों को गिरफ्तार करे, चाहे वह अधिकारी हो या कर्मचारी। विश्वविद्यालय की संपत्ति की रक्षा हमारा कर्तव्य है, और कोई भी इसे हड़पने की कोशिश करेगा तो हम चुप नहीं बैठेंगे।

फिलहाल पूरा मामला सीआईडी की जांच के अधीन है, और विश्वविद्यालय जगत के साथ-साथ राज्य प्रशासन की भी नजर इस गंभीर घोटाले पर टिकी हुई है।

(Udaipur Kiran) / अनिता राय

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