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लड़ाकू सुखोई विमान ‘मिनी अवाक्स’ में बदलेंगे, ‘विरुपाक्ष’ रडार लगाकर किये जाएंगे अपग्रेड

लड़ाकू सुखोई विमान और मिनी अवाक्स

– डीआरडीओ ने सुपर सुखोई अपग्रेड प्रोग्राम के तहत उत्पादन साझेदार का चयन करने की प्रक्रिया शुरू की

नई दिल्ली, 21 जुलाई (Udaipur Kiran) । ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के दौरान दुश्मन के हवाई हमलों को नाकाम करने में एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम और अवाक्स की भूमिका अहम रहने के बाद लड़ाकू सुखोई विमानों को अपग्रेड करने की तैयारी है। वायु सेना के इन लड़ाकू विमानों को विरुपाक्ष एईएसए रडार लगाकर मिनी अवाक्स में बदला जाएगा। इसके लिए डीआरडीओ ने सुपर सुखोई अपग्रेड प्रोग्राम के तहत उत्पादन साझेदार का चयन करने की प्रक्रिया शुरू की है।

भारतीय वायु सेना के सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों के एवियोनिक्स सुइट को उन्नत करने के उद्देश्य से विरुपाक्ष रडार लगाया जाना है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की प्रयोगशाला इलेक्ट्रॉनिक्स और रडार विकास प्रतिष्ठान (एलआरडीई) को अधिकृत किया गया है। एलआरडीई ने विमान के लिए अत्याधुनिक येसा रडार प्रणाली के सह विकास और निर्माण के लिए साझेदार का चयन करने के लिए अनुरोध पत्र (आरएफपी) जारी किया है। इसकी तकनीक ऐसी है कि सुखोई विमानों के एएल-31एफ इंजन में बदलाव किए बिना ही रडार को प्रभावी ढंग से संचालित किया जा सकेगा, जिससे अपग्रेड की लागत कम रहेगी।

विरुपाक्ष रडार 350-400 किमी (कुछ दावे 455 किमी. तक) की दूरी पर लक्ष्यों का पता लगा सकता है, जो मौजूदा रडार की तुलना में लगभग 1.7 गुना ज़्यादा है। यह रडार एक साथ 64-100 लक्ष्यों को ट्रैक कर सकता है, जबकि मौजूदा सिस्टम केवल 15 लक्ष्यों को ट्रैक कर पाता है। एक साथ कई लक्ष्यों को ट्रैक करने से हवाई युद्ध की स्थिति में अधिक प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया दी जा सकती है। इसका वजन 30-40 फीसदी हल्का होने की उम्मीद है, जिससे विमान की गतिशीलता और ईंधन दक्षता में सुधार होगा। सामरिक महत्व के लिहाज से देखा जाए तो यह रडार उच्च स्वदेशी सामग्री के माध्यम से भारत की आत्मनिर्भरता को मजबूत करेगा। साथ ही चीन के लड़ाकू विमान जे-20 जैसे खतरों का मुकाबला करने की क्षमता को बढ़ाएगा।

डीआरडीओ के मुताबिक इस रडार के लगने के बाद सुखोई की लाइफलाइन 2055 से भी आगे तक बढ़ जाएगी। विरुपाक्ष एईएसए रडार गहन निगरानी और मजबूत नेटवर्क केंद्रित युद्ध क्षमताएं प्रदान करेगा, जिससे यह लगभग एक मिनी अवाक्स के रूप में कार्य करने में सक्षम होगा, जो चीन के जे-20 जैसे स्टेल्थ विमानों का मुकाबला करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस जेट में बड़े मल्टी फंक्शन डिस्प्ले और पूर्णतः डिजिटल कॉकपिट होगा, जिससे सुखोई 4.5+ पीढ़ी का लड़ाकू विमान बन जाएगा। यह रडार, हवा से हवा, हवा से जमीन और हवा से समुद्र जैसे विभिन्न मिशनों में काम कर सकता है। यह रडार भारत में विकसित किया गया है, जो देश की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को मजबूत करता है। यह रडार भारतीय वायु सेना को एक महत्वपूर्ण रणनीतिक लाभ प्रदान करेगा, जिससे वह अपनी हवाई श्रेष्ठता बनाए रख सकेगी। ————-

(Udaipur Kiran) / सुनीत निगम

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