Chhattisgarh

रामतिल फसल पर प्रक्षेत्र दिवस : वैज्ञानिक तकनीकों से बढ़ेगा उत्पादन, किसानों ने सीखी नई खेती की राह

रामतिल फसल पर प्रक्षेत्र दिवस

अंबिकापुर, 8 नवंबर (Udaipur Kiran) । कृषि विज्ञान केंद्र, सरगुजा द्वारा ग्राम तिरकेला (विकासखंड लखनपुर) में शन‍िवार को तिलहन अंतर्गत रामतिल फसल पर प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम निदेशक अटारी, जोन IX, जबलपुर के निर्देशानुसार तथा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल और निदेशक विस्तार सेवाएं डॉ. एस.एस. टुटेजा के मार्गदर्शन में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।

कार्यक्रम का शुभारंभ प्रदर्शन प्रभारी सूर्य प्रकाश गुप्ता ने किया। उन्होंने बताया कि रामतिल फसल का प्रदर्शन 50 कृषकों के खेतों में किया गया, जिसका मुख्य उद्देश्य किसानों को आधुनिक वैज्ञानिक तकनीकों से जोड़ना और उत्पादन क्षमता बढ़ाना था। इसके लिए केंद्र द्वारा चयनित कृषकों को बीज, खरपतवारनाशक एवं आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराई गई थी।

वैज्ञानिकों ने दी व्यवहारिक जानकारी

कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक पांडुराम पैंकरा ने किसानों को प्राकृतिक खेती के लाभ बताते हुए कहा कि यह पद्धति न केवल लागत घटाती है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता और उत्पाद की गुणवत्ता भी बढ़ाती है। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे जैविक तरीकों को अपनाकर स्थायी कृषि की दिशा में आगे बढ़ें।

वैज्ञानिक पद्धति से मिलेगा अधिक लाभ: डॉ. शर्मा

कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. संदीप शर्मा ने खेतों का निरीक्षण किया और फसल की स्थिति देखकर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक पद्धति, उचित पोषण प्रबंधन और समय पर सिंचाई के माध्यम से रामतिल जैसी तिलहन फसलों से बेहतर उपज प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने किसानों को केंद्र द्वारा संचालित कृषक हितैषी योजनाओं और प्रशिक्षण कार्यक्रमों की जानकारी भी दी।

बीज उत्पादन से खुलेंगे नए रोजगार के अवसर

कार्यक्रम में बीज प्रमाणीकरण अधिकारी अशोक कुमार गुप्ता ने बीज उत्पादन कार्यक्रम की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बीज उत्पादन एक लाभकारी व्यवसाय है, और वैज्ञानिक तकनीकों के उपयोग से उच्च गुणवत्ता वाले बीज तैयार किए जा सकते हैं, जिससे किसानों की आय में वृद्धि संभव है।

इस अवसर पर क्षेत्र के जनप्रतिनिधि, कृषि विभाग के अधिकारी एवं बड़ी संख्या में किसान उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में किसानों ने वैज्ञानिकों से खेती से संबंधित जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त किया और आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाने का संकल्प लिया।

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(Udaipur Kiran) / पारस नाथ सिंह