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पिता और भाई की हत्या करने वाले को मिली उम्र कैद की सजा

बांदा, 5 जुलाई (Udaipur Kiran) । जमीन के बंटवारे को लेकर उपजे विवाद में पहली पत्नी का बेटा हिंसक हो गया जिसने पिता और सौतेले भाई को पेट्रोल डालकर जिंदा जला कर मार डाला था। इस सनसनीखेज मामले में कोर्ट ने शनिवार को फैसला सुना दिया है। अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम चंद्रपाल द्वितीय की अदालत ने आरोपी विश्वनाथ प्रताप सिंह को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही विभिन्न धाराओं में कुल 22 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है। जुर्माना अदा न करने पर दोषी को दो वर्ष की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी।

सहायक शासकीय अधिवक्ता श्रवण कुमार तिवारी ने बताया कि यह मामला तिंदवारी थाना क्षेत्र के भिड़ौरा गांव का है। मृतक की दूसरी पत्नी पूनम सिंह ने 29 सितंबर 2017 को पुलिस अधीक्षक को प्रार्थना पत्र देकर एफआईआर दर्ज कराई थी। शिकायत में बताया गया कि उनके पति रामखेलावन की पहली पत्नी की मौत हो चुकी थी और उनसे एक पुत्र विश्वनाथ प्रताप सिंह है, जो शादीशुदा है और अलग रहता है।

घटना वाले दिन रामखेलावन, पूनम सिंह के बेटे उदय प्रताप और पूनम का भाई धर्मेंद्र सिंह (निवासी हनुमान ताला, जबलपुर) भिड़ौरा स्थित घर पर मौजूद थे। सुबह करीब आठ बजे सभी लोग आंगन में बातचीत कर रहे थे, तभी विश्वनाथ प्रताप सिंह वहां पहुंचा और गाली-गलौज करते हुए पूनम सिंह के बाल पकड़कर घसीटने लगा। बीच-बचाव करने पर वह वहां से भाग गया।

थोड़ी देर बाद जब रामखेलावन और उदय प्रताप आंगन से बाहर निकल रहे थे, तभी विश्वनाथ पेट्रोल से भरा प्लास्टिक का डिब्बा लेकर आया और दोनों पर पेट्रोल डालकर आग लगा दी। दोनों गंभीर रूप से झुलस गए। उन्हें पहले तिंदवारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, फिर जिला अस्पताल और वहां से कानपुर रेफर किया गया। जहां इलाज के दौरान रामखेलावन की 4 अक्टूबर को मृत्यु हो गई, जबकि उदय प्रताप ने 10 अक्टूबर को दम तोड़ दिया।

शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया था कि रामखेलावन के भाई रामकरन की हत्या करीब 25 साल पहले हुई थी, जिसमें रामखेलावन को फंसाया गया था। इस पुराने विवाद के कारण रामकरन की पत्नी रामरती और उसका बेटा शमशेर सिंह रामखेलावन से रंजिश रखते थे और उन्होंने ही विश्वनाथ को हत्या के लिए उकसाया। हालांकि, विवेचना के बाद पुलिस ने केवल विश्वनाथ प्रताप सिंह के खिलाफ 16 दिसंबर 2017 को आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया।

7 मई 2018 विवेचक ने न्यायालय में आरोपी विश्वनाथ प्रताप सिंह के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल कर दिया। मुकदमे की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने कुल 10 गवाह पेश किए। गवाहों के बयानों, दस्तावेजों और दोनों पक्षों की दलीलों के आधार पर न्यायाधीश ने अभियुक्त विश्वनाथ प्रताप को दोषी पाते हुए 30 पृष्ठों के अपने निर्णय में आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

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(Udaipur Kiran) / अनिल सिंह

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