Jammu & Kashmir

बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन के निर्णय को फारूक अब्दुल्ला ने संविधान विरोधी करार दिया

बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन के निर्णय को फारूक अब्दुल्ला ने संविधान विरोधी करार दिया

श्रीनगर, 8 जुलाई हि.स.। नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने मंगलवार को चुनाव आयोग द्वारा बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन के निर्णय को संविधान विरोधी करार दिया।

अब्दुल्ला ने पूछा कि 1.50 करोड़ से अधिक बिहारी अपने राज्य से बाहर काम कर रहे हैं। वे (नामांकन के लिए) फॉर्म कैसे भरेंगे वे कैसे वोट देंगे वे अपने मृतक माता-पिता के प्रमाण पत्र कहां से प्राप्त करेंगे।

जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री कुलगाम में पत्रकारों से बात कर रहे थे जहां वे एक पार्टी कार्यक्रम में भाग लेने गए थे।

उन्होंने कहा कि जब बी आर अंबेडकर ने संविधान बनाया था तब सभी को वोट देने का अधिकार था। फिर 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों को वोट देने का अधिकार देने के लिए इसमें संशोधन किया गया। आज वे (ईसीआई) एक नया कानून लेकर आए हैं जो संविधान के खिलाफ है। वे अपने मालिक को खुश करने की कोशिश कर रहे हैं। अपने मालिक को खुश करने के लिए वे सब कुछ कुर्बान करने को तैयार हैं। अब्दुल्ला ने कहा कि इन षड्यंत्रों के प्रति जागरूक होने की जरूरत है क्योंकि यह भारत के लोगों को स्वीकार्य नहीं है। जागो अफसोस के साथ मैं कहता हूं कि यह भारत के लोगों को स्वीकार्य नहीं है।

अगर वे इसे आगे बढ़ाते हैं तो संविधान को बचाने के लिए एक आंदोलन होगा और यह पहले के आंदोलन से भी बड़ा होगा। अल्लाह उन्हें संविधान की रक्षा करने की सद्बुद्धि दे। चुनाव आयोग ने 24 जून को बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को अंजाम देने के निर्देश जारी किए जाहिर तौर पर अयोग्य नामों को हटाने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि केवल योग्य नागरिक ही मतदाता सूची में शामिल हों। बिहार में इस तरह का आखिरी संशोधन 2003 में किया गया था। चुनाव आयोग के अनुसार तेजी से बढ़ते शहरीकरण लगातार पलायन, युवा नागरिकों के वोट देने के योग्य होने मौतों की सूचना न देने और विदेशी अवैध प्रवासियों के नाम शामिल होने के कारण यह प्रक्रिया जरूरी हो गई थी। बिहार में इस साल के अंत में चुनाव होने हैं।

(Udaipur Kiran) / राधा पंडिता

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