

हरदा, 23 जुलाई (Udaipur Kiran) । नहर की भूमि का जिले में उपयोग हो रहा है इस और नहर विभाग के अधिकारी-कर्मचारी ध्यान नहीं दे रहे हैं। जिसके कारण नहर विभाग को काफी आर्थिक क्षति हो रही है और नहर के दोनों तरफ छुटी हुई जमीन का उपयोग करके संबंधित किसान फायदे में है। इस पर गौर कर पहल की जाये तो नहर विभाग को काफी फायदा हो सकता है।
मुख्य नहर और तवा से जुड़ी हुई नहर के दोनों तरफ करीब 120 से 150 फीट तक नहर की जमीन है। 40 फीट नहर के लिए निकाल दिया जाये तो दोनों तरफ 80-80 फीट भूमि होती है। दोनों तरफ 80-80 फीट का जोड़ा जाये तो करीब 5 एकड़ भूमि होती है और 5 एकड़ भूमि करीब 3 लाख रुपये खोट में जा रही है। इसका फायदा नहर के आजू-बाजू वाले किसान लंबे समय से ले रहे हैं। नहर की भूमिका उपयोग कर जहां शासन के नियमों का खुलेआम उल्लंघन कर रहे हैं वहीं आर्थिक रूप से क्षति पहुंचाकर मालामाल हो रहे हैं।
प्लांटेशन कर, वृक्षारोपण किया जाय – दुबे
सुनील दुबे टिमरनी का कहना है कि नहर के दोनों तरफ नहर विभाग की खाली पड़ी भूमि पर प्लांटेशन करके वृक्षारोपण किया जाये तो इससे पर्यावरण असंतुलन की स्थिति में आशातीत सुधार आने के साथ-साथ में मिट्टी का कटाव रूकेगा। नहर की भव्यता व दिव्यता को भी चार चांद लगेगा। वृक्षारोपण सड़क के लिहाज से ही नहर के दोनों तरफ 80-80 फीट जगह छोड़ी गई है। जब से नहर निकली है तब से नहर की जमीन पर खेती करके लाभ कमाने का लेखा-जोखा तैयार किया जाये तो नहर से जुड़े किसानों को लाखों का प्रॉफिट मिलने का रोचक मामला प्रकाश में आ जायेगा। इस मुद्दे को पूर्व में भी उठाया गया फिर भी नहर विभाग के जवाबदेह, जिम्मेदार अधिकारी इस दिशा में कोई पहल नहीं कर रहे हैं जबकि इसकी आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही है।
किसानों से मुक्त करायी जाय भूमि –
नहर विभाग की जमीन पर कब्जा कर खेती और खोट देकर लाखों कमा रहे किसानों से भूमि मुक्त कराने की कार्यवाही की जाये इससे विभाग को काफी नुकसान हो रहा है। शासन की मन्शा के अनुरूप काम भी नहीं हो पा रहा है। 80-80 फीट दोनों तरफ जमीन छोड़कर वृक्षारोपण व अन्य कार्य करने की जो परिकल्पना संजोगी गई थी उसे मूर्त रूप देने की दिशा में कोई ठोस प्रयास नहीं किया जा रहा है। जिले में तवा बांध से निकली नहर का चौतरफा जाल बिछा हुआ है। किसान भूमि का निजी उपयोग कर मालामाल हो रहे हैं। विभाग के अधिकारी इस मुद्दे की अनदेखी क्यों कर रहे हैं। इसके पीछे कारण क्या है यह जांच का विषय बन गया है। कहीं जानबूझकर तो किसानों को जमीन उपयोग करने के लिए दिया गया है। मामला चाहे जो हो किंतु जानकारी के बाद भी इस दिशा में कोई पहल नहीं कर रहे हैं।
किसानों से वसूल की जाय राशि – नवाद
किसान दीपचंद नवाद ने बताया कि नहर की भूमि का उपयोग करने के एवज में किसानों से जुर्माना राशि तय कर वसूल की जाय। इस तरह की कार्यवाही की जायेगी तो निश्चित रूप से किसान नहर की भूमि छोड़कर खेती करेंगे और खोट देंगे। ऐसा नहीं करने के कारण संबंधित धड़ल्ले से भूमि का स्वयं उपयोग कर रहे हैं और अधिकांश किसान तो कोड देकर फायदा कमा रहे हैं। ऐसे ज्वलंत मुद्दे की अनदेखी करके शासन कायदे, कानूनों और प्रावधानों का उल्लंघन किया जा रहा है और वृक्षारोपण की भी कार्य योजना तैयार कर उसे मूर्त रूप देने की पहल नहीं की जा रही है। जो वेहद चिंताजनक है।
इस संबंध में हरदा जिला कलेक्टर सिद्धार्थ जैन का कहना है कि
नहर के दोनों तरफ खाली पड़ी भूमि के बेहतर उपयोग की कार्य योजना बनाकर मूर्त रूप दिया जाएगा। प्लांटेशन और वृक्षारोपण एक बेहतर विकल्प है, जिसे लागू करने की पहल की जायेगी।
(Udaipur Kiran) / Pramod Somani
