बांकुड़ा, 30 जून (Udaipur Kiran) । जिले के तालडांगरा थाने में दर्ज एक मामले में गिरफ्तार किए गए दुलाल हासन मलिक और गुलाम खान ने पुलिस पूछताछ में कबूल किया है कि वे पिछले एक साल से बांकुड़ा के विभिन्न थाना क्षेत्रों में जाली नोट चला रहे थे। पुलिस सूत्रों के अनुसार, कुछ महीने पहले उन्होंने सोनामुखी और पात्रसायर में भी कई लोगों को जाली नोट थमाए थे।
पुलिस के अनुसार, जाली नोट की गुणवत्ता बहुत अच्छी नहीं होने के कारण आरोपित मुख्यतः दूर-दराज़ के ग्रामीण इलाकों में जाकर 500 रुपये के नोटों का लेनदेन करते थे। उनका मुख्य निशाना महिलाएं होती थीं, क्योंकि अक्सर पुरुषों की अनुपस्थिति में महिलाएं घर या दुकानों की जिम्मेदारी संभालती हैं। आरोपी उन्हें कम कीमत के सामान खरीदने के बहाने 500 रुपये का नकली नोट पकड़ाते और बदले में असली पैसे लेकर निकल जाते।
बांकुड़ा के पुलिस अधीक्षक वैभव तिवारी ने बताया कि इन दोनों ने एक साल के दौरान जिले भर में नकली नोटों का प्रसार किया है। उन्होंने कहा कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि कुल कितनी रकम का जाली नोट बाजार में चलाया गया है, लेकिन मामले की जांच तेजी से जारी है।
पुलिस और स्थानीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, दुलाल और गुलाम ने एक हिंदी वेब सीरीज़ देखकर जाली नोट छापने की तकनीक सीखी थी। उन्होंने बाजार से उच्च गुणवत्ता वाला कागज खरीदा और एक खास प्रकार की प्रिंटर मशीन के जरिए 500 रुपये के नकली नोट छापे। शुरुआत में वे तालडांगरा इलाके में कोई गतिविधि नहीं करते थे ताकि शक न हो, लेकिन बाद में हिम्मत बढ़ने पर वहीं भी नोट चलाना शुरू कर दिया। इसी दौरान पुलिस को सुराग मिला और दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया।
जांच कर रहे अधिकारियों ने बताया कि आम तौर पर दो तरह के नकली नोट होते हैं — एक जो पाकिस्तान में छपते हैं और बेहद उच्च गुणवत्ता वाले होते हैं, जिनमें कनाडा से आयातित कागज और नीदरलैंड, फ्रांस जैसे देशों के डाई और उपकरणों का इस्तेमाल होता है। ऐसे नोट असली और नकली में फर्क करना मुश्किल बना देते हैं। वहीं, दूसरा प्रकार भारत में देशी तकनीक से तैयार किया जाता है जिसकी गुणवत्ता कमजोर होती है। तालडांगरा में पकड़े गए आरोपी इसी प्रकार के जाली नोट तैयार कर बाजार में चला रहे थे।
पुलिस को संदेह है कि 500 रुपये के बाद आरोपित 200 और 100 रुपये के नोट भी जालसाजी के लिए तैयार कर रहे थे। फिलहाल आरोपियों से पूछताछ जारी है ताकि उनके नेटवर्क और अन्य रणनीतियों का भी खुलासा हो सके।
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(Udaipur Kiran) / धनंजय पाण्डेय
