Uttrakhand

आस्था : बेटा मां को तो बहु सास को कांवड़ में बैठाकर पदयात्रा पर निकली

मां को कांवड़ में बैठाकर ले जाता संजू बाबा

हरिद्वार, 8 जुलाई (Udaipur Kiran) । वर्तमान समय में जहां रिश्ते तार-तार हो रहे हैं। वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो अपने कर्तव्य को अपना धर्म समझकर पूरा करने में जुटे हुए हैं।

हाल ही में कई ऐसी घटनाएं देखने-सुनने को मिली जहां बेटे ने पिता का और पत्नी ने अपने पति का कत्ल कर दिया। ऐसे में रिश्तों का धर्म निभाते हुए समाज के समक्ष एक बेटे और बहू का धर्म देखने को मिला। कांवड़ यात्रा के दौरान तीर्थनगरी हरिद्वार में जहां एक ओर एक बेटा अपनी बुजुर्ग मां को कांवड़ में बैठाकर पदयात्रा पर निकला है। वहीं दूसरी ओर एक बहू भी अपनी बुजुर्ग सास को कांवड़ में बैठकार पद यात्रा पर निकली है। आज के दौर में यह कुछ सुनने में अटपटा सा अवश्य लगगेा, किन्तु यह सत्य है।

कांवड़ यात्रा का आगाज हो चुका है। जबकि विधिवत शुभारम्भ आगामी 11 जुलाई से होगा। ऐसे में एक बेटा श्रवण कुमार की परंपरा को जीवंत करते हुए अपनी मां को कांवड़ में बैठाकर पदयात्रा पर निकाला है।

अलीगढ़ के बिलखोरा गांव निवासी संजू बाबा ने न सिर्फ भगवान शिव के लिए गंगाजल से भरी कांवड़ उठाई है, बल्कि उसी कांवड़ में अपनी मां श्रीमती पुष्पा देवी को भी बैठाकर 300 किलामीटर की पदयात्रा पर निकला है। संजू का कहना है कि मां ही भगवान है और भगवान मानकर ही मैं मां की सेवा कर रहा हूं। जबकि संजू की मातृ भक्ति से प्रसन्न होकर उसकी मां पुष्पा देवी उसे आशीर्वाद देती नहीं थकती।

कांवड़ में बैठी संजू की मां रास्ते भर भगवान शिव का नाम जपती हुई जा रही हैं। हरिद्वार से अलीगढ़ तक यह 300 किलोमीटर की पदयात्रा सिर्फ पैरों की नहीं, बल्कि संवेदनाओं, संस्कारों और श्रद्धा की यात्रा है।

वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के हापुड़ से एक महिला अपने बच्चों के साथ अपनी सास को लेकर हरिद्वार आई है। सास को कांवड़ पर बैठाई बहू और नाती-पोतों की चर्चा तीर्थनगरी के हर ओर हो रही है।

हालांकि सास बहु की लड़ाई के किस्से आम सुने जाते हैं, किन्तु सास को कांवड़ में बैठाकर उन्हें यात्रा कराने का यह पहला वाक्या सामने आया है।

बहु हर की पैड़ी से गंगाजल भरकर बुजुर्ग सास को पालकी पर बैठाए, हरिद्वार से हापुड़ के लिए प्रस्थान कर चुकी है। हापुड़ की रहने वाली आरती अपनी दो बेटियों और भतीजे के साथ अपनी सास पुष्पा को पालकी पर बैठा कर कांवड़ यात्रा करा रही हैं।

बहू आरती का कहना है कि हर कोई अपने मां-बाप को तो यात्रा कराता ही है, लेकिन मैंने समझा कि मेरी सास का मन भी कांवड़ यात्रा करने का है तो अपनी बेटियों और भतीजे के साथ उन्हें हरिद्वार ले आई। उधर आरती की सास, बहु की इस सेवा से प्रसन्न है। उनका कहना है कि ऐसी बहु भगवान सभी को दे।

(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला

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