
औरैया, 28 जुलाई (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश के औरैया जिले की चंबल घाटी में स्थित भारेश्वर महादेव मंदिर न केवल श्रद्धा का केंद्र है, बल्कि महाभारत कालीन ऐतिहासिक धरोहर भी है।
मान्यता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडवों में से भीम ने यहां शिवलिंग की स्थापना की थी, जो आज भी मंदिर के गर्भगृह में प्रतिष्ठित है।
यह मंदिर यमुना और चंबल नदी के संगम के पास, समुद्र तल से 444 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, जहां पहुंचने के लिए भक्तों को 108 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं।
डाकुओं की धरती पर भी नहीं डिगी श्रद्धा
एक समय में चंबल घाटी डाकुओं के आतंक के लिए बदनाम थी, लेकिन शिव भक्तों की आस्था अडिग रही।
डाकुओं के खौफ के बीच भी श्रद्धालु यहां आकर पूजा करते रहे।
इतिहास में दर्ज है कि कुख्यात डाकू निर्भय गुर्जर, रज्जन गुर्जर, अरविंद गुर्जर और रामबीर गुर्जर तक इस मंदिर में पूजन करने आते थे।
मुगलकाल में व्यापारिक केंद्र, फिर बना धार्मिक धरोहर
मंदिर से जुड़ी लोककथा के अनुसार, राजस्थान के व्यापारी मदनलाल की नाव एक बार यमुना के भंवर में फंस गई थी। उन्होंने भारेश्वर महादेव से प्रार्थना की और सुरक्षित निकल आने पर मंदिर का जीर्णोद्धार कराया।
मुगलकाल में यह क्षेत्र उत्तर भारत का प्रमुख व्यापारिक केंद्र माना जाता था।
शिवलिंग, शिल्प और बनावट बताती हैं मंदिर की महत्ता
मंदिर की बनावट द्वापर युगीन पंचायतन शैली में है। मोटी पत्थर की दीवारें इसकी भव्यता और मजबूती को दर्शाती हैं। यह शिवलिंग न केवल पूजनीय है, बल्कि इतिहास और पुरातत्व के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
सावन के तीसरे सोमवार को उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब
आज सावन के तृतीय सोमवार पर मंदिर परिसर में हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। औरैया ही नहीं, आसपास के जिलों और राज्यों से भी भक्त दर्शन के लिए पहुंचे।
व्यापक सुरक्षा व्यवस्था
भरेह थानाध्यक्ष प्रीति सेंगर स्वयं पूरी टीम के साथ मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था में मुस्तैद रहीं।
इनका है कहना
वरिष्ठ पत्रकार वीरेंद्र सिंह सेंगर ने (Udaipur Kiran) को बताया की
यह मंदिर सिर्फ धार्मिक नहीं ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसकी बनावट, शिवलिंग की विशालता और भक्तों की आस्था इसे विशिष्ट बनाती है।
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हिंदुस्थान समाचार कुमार
(Udaipur Kiran) कुमार
