Maharashtra

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सभी ने ‘वंदे मातरम’ गाया था : मुख्यमंत्री

-मंत्रालय में ‘वंदे मातरम’ गीत का सामूहिक गायन

मुंबई, 07 नवंबर (Udaipur Kiran) । महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शुक्रवार को मुंबई स्थित मंत्रालय में कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जाति, पंथ, धर्म और भाषा के भेदों को भुलाकर सभी ने वंदे मातरम गाया था। वंदे मातरम स्वतंत्रता संग्राम का मूलमंत्र था और क्रांतिकारियों का नारा भी इसी गीत से बना था। विश्व को मार्गदर्शन देने वाले भारत के निर्माण के लिए देशभक्ति और एकता आवश्यक है। पद्मजा फेनानी-जोगलेकर के साथ सभी गणमान्य लोगों ने एक साथ आकर वंदे मातरम गाकर राष्ट्रीय भावना को मजबूत करने का संकल्प व्यक्त किया।

वंदे मातरम गीत के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर शुक्रवार को मंत्रालय में कौशल, रोजगार, उद्यमिता और नवाचार विभाग तथा सांस्कृतिक कार्य विभाग द्वारा आयोजित सामूहिक ‘वंदे मातरम’ गायन कार्यक्रम मुख्यमंत्री फडणवीस की उपस्थिति में आयोजित किया गया। इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्य, सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री आशीष शेलार, कौशल विकास, रोजगार, नवाचार मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा, मुख्य सचिव राजेश कुमार, पद्मश्री पद्मजा फेनानी-जोगलेकर सहित मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि वंदे मातरम केवल एक गीत नहीं है, बल्कि एक भावना है जो देश को जोड़ती और एकजुट करती है। कोलकाता के टाउन हॉल में 30 हजार से अधिक लोग एकत्र हुए थे। वहां पहली बार वंदे मातरम का पहला उद्घोष किया गया। इसके जवाब में 30 हजार लोगों ने सामूहिक रूप से वंदे मातरम का गायन किया। उसके बाद, वंग-भंग आंदोलन के दौरान प्रेरक गीत और संघर्ष गीत गाए गए कांग्रेस अधिवेशन में रवींद्रनाथ टैगोर ने वंदे मातरम गाया था। इसके बाद, जाति, धर्म और संप्रदाय के सभी भेदभावों को भुलाकर पूरा भारतीय समाज एक साथ आया और वंदे मातरम का नारा गढ़ा गया। तब से, इसे राष्ट्रगान के रूप में गढ़ा गया है।

उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी फांसी पर चढ़ते समय भी ‘वंदे मातरम’ बोलते थे। जिन नेताओं ने कहा कि हम अहिंसा के माध्यम से स्वतंत्रता प्राप्त करना चाहते हैं, उनका नारा ‘वंदे मातरम’ बन गया। स्वतंत्रता के ध्वज का शब्द गढ़ा गया। वंदे मातरम ने स्वतंत्रता संग्राम में अपना बहुमूल्य योगदान दिया। स्वतंत्र भारत का ध्वज तैयार करते समय उस पर वंदे मातरम भी लिखा गया था। महात्मा गांधी अपने प्रत्येक पत्र का समापन वंदे मातरम से करते थे। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के संविधान के निर्माण के बाद, जन गण मन और वंदे मातरम दोनों गीतों को राष्ट्रगान का दर्जा देकर समान सम्मान दिया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 150 साल बाद भी, वंदे मातरम आज भी एक ऐसा गीत है जो एक तरह से हमारे भारत को दिशा देता है। यह गीत हमारी मातृभूमि का वर्णन करता है। स्वतंत्रता संग्राम में सभी ने जाति, पंथ, धर्म, भाषा के सभी भेद भुलाकर वंदे मातरम कहा। वंदे मातरम किसी एक धर्म का गीत नहीं है। यह एक प्रेरणादायक गीत है, एक राष्ट्रगान है जो सभी धर्मों को प्रेरणा देता है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूरे देश में वंदे मातरम के सामूहिक गायन का कार्यक्रम शुरू किया, जबकि मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने भी राज्य में इस अवधारणा को प्रस्तुत किया। इसी के चलते राज्य के हर हिस्से में, हर स्कूल में सामूहिक वंदे मातरम कार्यक्रम हो रहे हैं। गीत की भावना को हर युवा, छात्र और नागरिक तक पहुँचाने के लिए पूरे राज्य में वंदे मातरम का आयोजन किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि पूरे भारत में वही भावना पैदा करने का प्रयास है जो 1905 में वंगभंग के दौरान और स्वतंत्रता प्राप्त होने पर पैदा हुई थी उन्होंने एक ऐसे भारत के निर्माण के लिए प्रयास करने का आह्वान किया जो विश्व का मार्गदर्शन करे, एक ऐसा भारत जो नालंदा और तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालयों के माध्यम से विश्व को ज्ञान प्रदान करे, तथा एक ऐसा भारत जो भगवान गौतम बुद्ध के दर्शन को पूरे विश्व तक ले जाए।

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(Udaipur Kiran) यादव