
एसजीपीजीआई के दीक्षांत समारोह में राज्यपाल ने प्रदान की 415 उपाधियां
लखनऊ,16 सितम्बर (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय की कुलाध्यक्ष आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) लखनऊ का 29वां दीक्षांत समारोह मंगलवार को सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर राज्यपाल ने शिक्षार्थियों को कुल 415 उपाधियां प्रदान कीं तथा सभी उपाधियों को डिजिलॉकर में अपलोड किया। साथ ही उन्होंने जनपद रायबरेली के आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए 300 आंगनबाड़ी किटों का भी वितरण किया।
इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि प्रत्येक मरीज को तात्कालिक सुविधा और त्वरित इलाज मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि डॉक्टर तभी अपनी भूमिका का सही निर्वहन कर पाएंगे जब उनमें संवेदनशीलता और मानवीयता का भाव होगा। आनंदीबेन पटेल ने चिकित्सकों से संवेदनशीलता और मानवीय दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान करते हुए कहा कि किसी भी संस्थान का निर्माण प्रायः किसानों की भूमि पर होता है। ऐसे में जब कोई किसान, बुजुर्ग, महिला या बच्चा इलाज के लिए आए तो उसका उपचार पूरे मन से करें, सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करें और कभी भी किसी मरीज को निराश न लौटाएं।
राज्यपाल ने दीक्षांत समारोह में सभी उपाधि प्राप्तकर्ताओं को हार्दिक बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की और कहा कि विद्यार्थियों को जीवन में आगे बढ़ते हुए सदैव समाज और देश की सेवा के प्रति समर्पित रहना चाहिए। उन्होंने विशेष रूप से उल्लेख किया कि हर विद्यार्थी के माता-पिता और अभिभावकों ने उन्हें यहां तक पहुंचाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है, इसलिए उनका सम्मान करना प्रत्येक उपाधिधारक का प्रथम कर्तव्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा का सबसे बड़ा उद्देश्य राष्ट्र निर्माण और समाज सेवा से जुड़ा है।
राज्यपाल ने उपाधि धारकों को प्रेरित करते हुए कहा कि आप विदेश अवश्य जाइए, लेकिन वहां नई तकनीक और ज्ञान प्राप्त करने के लिए, और फिर वापस आकर अपने देश की सेवा कीजिए। उन्होंने कहा कि यदि आप निजी अस्पताल भी स्थापित करते हैं तो यह संकल्प अवश्य लें कि हर वर्ष कम से कम पांच मरीजों का निःशुल्क इलाज करेंगे। यही सच्ची सेवा भावना होगी और इसी से चिकित्सक समाज में आदर्श स्थापित करेंगे।
उन्होंने विश्वविद्यालय को शोध कार्यों की दिशा में प्रेरित करते हुए कहा कि शोध को तेजी से आगे बढ़ाना चाहिए। आज समाज में गुस्से की प्रवृत्ति बढ़ रही है, ऐसे में यह शोध होना चाहिए कि किस प्रकार क्रोध को नियंत्रित कर शांतिपूर्ण जीवन जिया जा सके। डॉक्टरों को समाज की समस्याओं के समाधान हेतु भी अनुसंधान करना चाहिए।
समारोह के दौरान राज्यपाल ने संस्थान में उत्कृष्ट कार्य करने वाले संकाय सदस्यों और विद्यार्थियों को विभिन्न पुरस्कारों एवं पदकों से सम्मानित किया। इनमें प्रो. एस.आर. नायक पुरस्कार संकाय सदस्य को उत्कृष्ट अनुसंधानकर्ता के रूप में, प्रो. एस.एस. अग्रवाल पुरस्कार शिक्षार्थी को उत्कृष्ट अनुसंधानकर्ता के रूप में तथा प्रो. आर. के. शर्मा पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ डी.एम. और एम.सी.एच. छात्र को प्रदान किया गया। राज्यपाल ने विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित पुस्तकों का विमोचन भी सॉफ्ट लॉन्च के माध्यम से किया।
दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि एवं अध्यक्ष, एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ गैस्ट्रो एण्ट्रोलॉजी, हैदराबाद, पद्म विभूषण प्रो. डी. नागेश्वर रेड्डी ने उपाधिधारकों को बधाई देते हुए कहा कि जीवन में आगे अनेक चुनौतियाँ आएंगी और ज्ञान के साथ-साथ चिकित्सक की जिम्मेदारियों को निभाते हुए ही वास्तविक प्रगति संभव है। उन्होंने कहा कि यह अधिक महत्त्वपूर्ण है कि आप समाज पर क्या प्रभाव डालते हैं।
चिकित्सा सेवा का क्षेत्र चुनौतियों से भरा होता है: ब्रजेश पाठक प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने अपने उद्बोधन में उपाधिधारकों को बधाई दी और कहा कि चिकित्सा सेवा का क्षेत्र चुनौतियों से भरा होता है, किंतु मानव सेवा को ध्येय बनाकर आगे बढ़ना ही डॉक्टर का धर्म है। डॉक्टर को भगवान का स्वरूप माना गया है, अतः उन्हें सदैव संस्था, प्रदेश और देश के हित को सर्वाेपरि रखना चाहिए।
राज्यमंत्री चिकित्सा शिक्षा, उत्तर प्रदेश मयंकेश्वर शरण सिंह ने विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि यह प्रदेश का पहला संस्थान है जिसे एनआईआरएफ रैंकिंग में टॉप फाइव में स्थान प्राप्त हुआ है। उन्होंने संस्थान की उपलब्धियों की सराहना करते हुए फैकल्टी की संख्या बढ़ाने पर बल दिया और विश्वास व्यक्त किया कि आने वाले पांच वर्षों में यह संस्थान सभी को पीछे छोड़कर प्रथम स्थान प्राप्त करेगा। उन्होंने विद्यार्थियों और फैकल्टी से कहा कि नंबर वन बनने के लिए सतत प्रयास और सामूहिक सहयोग आवश्यक है।
प्रो. राधा कृष्ण धीमन, निदेशक, एसजीपीजीआई ने सभी अतिथियों का स्वागत किया तथा संस्थान की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की।—————
(Udaipur Kiran) / बृजनंदन
