
मंडी, 07 जुलाई (Udaipur Kiran) । हिंदी के पहले कहानीकार एवं उसने कहा था कालजयी कहानी से विश्व विख्यात रचनाकर रहे पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी की जयंती का आयोजन संस्कृति सदन मंडी में किया गया। जिला भाषा अधिकारी रेवती सैनी ने बताया कि भाषा एवं संस्कृति विभाग की ओर से हर वर्ष महान विभूतियों की जयंतियों का आयोजन किया जाता है। इसी कड़ी में सोमवार को भाषा विभाग मंडी की ओर से गुलेरी जयंती का आयोजन किया गया। इस जिला स्तरीय लेखक गोष्ठी की अघ्यक्षता वरिष्ठ कवयित्री, लोकगायिका रूपेश्वरी शर्मा ने की। जबकि वरिष्ठ साहित्यकार गंगाराम राजी बतौर विशिष्ट अतिथि मौजूद रहे।
इस अवसर पर कवि आलोचक डा. विजय विशाल ने गुलेरी के निबंधों में विचारशीलता और साहित्यकार मुरारी शर्मा ने प्ंडित चंद्रधर शर्मा के साहित्य में राष्ट्रीय चेतना विषय पर पर्चे पढ़े गए। डा. विजय विशाल ने कहा कि चंद्रधर शर्मा गुलेरी और प्रेमचंद ने समाज के यथार्थ को न केवल भोगा बल्कि उसी पर साहित्य भी लिख। जिसके चलते आज भी उनका साहित्य प्रासंगिक है।
उन्होंने कहा कि कहा कि देबकी नंदन खत्री की राजा रानियों और अयारी से भरी कहानियों से बाहर निकल कर चुदधर शर्मा गुलेरी और प्रेमचंद ने आम आदमी मजदूर किसान को अपनी कहानियों का नायक बनायाऔर आम जनमानस को कहानी के केंद्र बिंदू में स्थापित किया। चंद्रधर शर्मा गुलेरी एक श्रेष्ठ कहानीकार के अतिरिक्त गुलेरी जी अच्छे निबंधकार भी थे। इन्होंने सौ से अधिक निबंध लिखे हैं। अपनी समकालीन सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक स्थितियों से उनके गम्भीर जुड़ाव और इनसे संबद्ध उनके चिंतन तथा प्रतिक्रियाओं से यह स्पष्ट होता है कि उनका सरोकार अपने समय के केवल भाषिक और साहित्यिक आंदोलनों से ही नहीं बल्कि उस युग के जीवन के हर पक्ष से था।
वहीं पर साहित्यकार मुरारी शर्मा ने कहा कि चंद्रधर शर्मा गुलेरी के साहित्य में राष्ट्रचेतना इस वजह से रही कि जब उन्होंने लिखना शुरू किया उस समय देश परतंत्रता की बेड़यों में जकड़ा हुआ था। हर देश वासी गुलामी की इन बेड़ियों को काटना चाहता था। ऐसे में साहित्य हो चाहे पत्रकारिता राष्ट्रप्रेम और आजादी की भावना से ओतप्रोत रहा है। उस दौर में हर भारतवासी के मन में राष्ट्रप्रेम की भावना जागृत करने करने के लिए गीत, कविताएं और निबंध साहित्यकारों द्वारा लिखे जाते थे। पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी भी बतौर साहित्यकार अपनी कविताओं और निबंधों के माध्यम से राष्टीय चेतना और देशप्रेम की मशाल थामें पथ प्रदर्शक की अग्रणीय भूमिका में रहे।
विशिष्ट अतिथि गंगाराम राजी ने कहा कि पं. चंद्रधर शर्मा गुलेरी हिंदी के अलावा, संस्कृत , प्राकृत और अन्य भाषाओं के विद्यवान थे। उनकी कहानी उसने कहा था ने उन्हें विश्व स्तरीय कहानीकार बना दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही रूपेश्वरी शर्मा ने कहा कि साहित्यकार सामाजिक व राजनैतिक विद्रुपताओं और विसंगतियों पर प्रहार करते हैं और आगे भी यह क्रम जारी रहना चाहिए।
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(Udaipur Kiran) / मुरारी शर्मा
