
कोलकाता, 16 जून (Udaipur Kiran) । कलकत्ता हाई कोर्ट ने जूनियर डॉक्टर अनिकेत महतो के तबादले से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को राज्य सरकार से हलफनामा दाखिल करने को कहा है। साथ ही अदालत ने मौखिक रूप से स्पष्ट किया कि यदि अनिकेत तबादला स्वीकार नहीं करते, तो उनके खिलाफ किसी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जा सकती। राज्य के महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने अदालत को इस संबंध में मौखिक आश्वासन भी दिया।
अनिकेत महतो ने अपने ‘पोस्टिंग’ को लेकर हाई कोर्ट का रुख किया था। उन्होंने मांग की थी कि जब तक मामला लंबित है, तब तक आर. जी. कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में उनके लिए एक स्थान सुरक्षित रखा जाए। उनकी ओर से पेश वकील ने अदालत में तर्क दिया कि चूंकि मामला विचाराधीन है, इसलिए मौजूदा तैनाती पर रोक लगाई जाए।
राज्य सरकार की ओर से दलील दी गई कि अनिकेत ने स्नातकोत्तर प्रवेश परीक्षा में 24वीं रैंक प्राप्त की है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि उन्हें आर. जी. कर अस्पताल में ही तैनाती दी जाए। अदालत ने इस मामले में फिलहाल हस्तक्षेप नहीं किया।
इससे पहले भी इसी तरह के विवाद में दो अन्य जूनियर डॉक्टर—देबाशीष हालदार और असफाकुल्ला नाइया—ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। ये तीनों डॉक्टर राज्यभर में महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के विरोध में हुए जूनियर डॉक्टरों के आंदोलन के प्रमुख चेहरों में शामिल थे। आरोप है कि काउंसलिंग प्रक्रिया के तहत उनसे तैनाती की पसंद पूछी गई थी, लेकिन इसके बावजूद तीनों को उनकी वांछित जगहों पर पोस्टिंग नहीं दी गई।
तीनों डॉक्टरों को क्रमशः देबाशीष को मालदा के गाजोल, असफाकुल्ला को हुगली के आरामबाग और अनिकेत को उत्तर दिनाजपुर के रायगंज में तैनात किया गया है। अनिकेत ने सवाल उठाया है कि जब पसंद पूछी ही गई थी, तो उसके बाद मनमानी पोस्टिंग का औचित्य क्या है। जूनियर डॉक्टरों के संगठन डब्ल्यूबीजेडीएफ ने पहले ही संकेत दिया था कि ये तीनों डॉक्टर राज्य सरकार के आदेश को अदालत में चुनौती देंगे।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
