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पर्यावरण प्रेमियों ने दिया धरना : ओरण गोचर को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करने की मांग

पर्यावरण प्रेमियों ने दिया धरना : ओरण गोचर को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करने की मांग के साथ शिविरों का किया बहिष्कार

जैसलमेर, 18 सितंबर (Udaipur Kiran News) । यहां के पर्यावरण प्रेमियों द्वारा जिले की ओरण गोचर भूमि को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करने की मांग को लेकर शुरू किया गया अनिश्चित कालीन धरना लगातार तीसरे दिन भी जारी रहा। तीसरे दिन कलेक्ट्रेट के समक्ष धरना स्थल पर कई पर्यावरण प्रेमी मौजूद रहे। इस दाैरान ग्रामीण इलाकों में आयोजित हो रहे शिविरों का भी ग्रामीणों ने बहिष्कार किया। करीब 9 गांवों में गुरुवार को ग्रामीण सेवा शिविर का बहिष्कार किया गया।

पर्यावरण प्रेमी सुमेरसिंह सांवता ने बताया कि पिछले दो सालों से ओरण भूमि को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करवाने के लिए तैयार की गई फाइलें जिला प्रशासन के पास धूल फांक रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि जिला प्रशासन जिले की लाखों बीघा जमीन निजी कंपनियों को देकर जंगलों को खत्म करने का काम कर रही है। कल सभी पर्यावरण प्रेमी मशाल जुलूस निकालकर सरकार के प्रति अपना विरोध दर्ज करवाएंगे।

सुमेर सिंह सांवता ने आरोप लगाया कि जिला प्रशासन निजी कंपनियों के दबाव के चलते इन ओरणों को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज नहीं कर रहा है। जिससे पर्यावरण प्रेमियों व ग्रामीणों में रोष बढ़ता जा रहा है। उन्होंने बताया कि ओरण और गोचर भूमि न केवल पशुओं के चरागाह का आधार है। बल्कि ये क्षेत्र पर्यावरण व वन्यजीवों की शरणस्थली भी है। यदि इनका संरक्षण नहीं किया गया तो आने वाले समय में जैसलमेर की पारिस्थितिकी गहरी संकट में पड़ सकती है। उन्होंने जैसलमेर के तालाब, आगोर व पार को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज किया जाए। जिले के कुएं, बावड़ी, बेरी एवं उनके पार, दांडे, पायतन और सारण को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज किया जाए। जैसलमेर में पर्यावरण प्रेमियों द्वारा दिए जा रहे धरने को देखते हुए कई गांवों में इनके समर्थन में ग्रामीण सेवा शिविरों का ग्रामीणों द्वारा बहिष्कार किया गया। जिले के राघवा, चांधन, खिया, हमीरा, सांखला, नेहङाई, कोहरा, भाडली और रायमला में आयोजित हुए ग्रामीण सेवा शिविरों का बहिष्कार किया गया। खिया गांव में ग्रामीणों ने गांव को उपनिवेशन से बाहर किए जाने का भी विरोध किया।

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(Udaipur Kiran) / चन्द्रशेखर

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