
– ग्रामीणों ने गांव के चारों प्रवेश द्वार पर बाकायदा बोर्ड लगाया
कांकेर, 31 जुलाई (Udaipur Kiran) । दुर्ग में दो ननों की गिरफ्तारी के बाद प्रदेश में धर्मांतरण को लेकर चढ़े सियासी पारे के बीच कांकेर जिले के भानुप्रतापपुर विकासखंड अंर्तगत ग्राम कुड़ाल के ग्रामीणों ने पास्टर-पादरी के साथ ईसाई धर्मांवलंबियों के गांव में प्रवेश पर रोक लगा दी है। इसके लिए गांव के चारों प्रवेश द्वार पर बाकायदा बोर्ड लगा दिया गया है। यही नहीं सरपंच ने स्पष्ट किया है कि कोई ईसाई धर्मावलंबी किसी के घर जाएगा, तो उसे शैतान की संज्ञा दी जाएगी। ग्राम कुड़ाल के प्रवेश द्वार पर लगाए गए बोर्ड में पास्टर-पादरी के साथ ईसाईं धर्मांतरित व्यक्तियों के प्रवेश वर्जित होने की सूचना दी गई है।
बोर्ड में लिखा गया है कि ग्राम कुड़ाल, थाना भानुप्रतापपुर, जिला उत्तर बस्तर कांकेर भारत के संविधान के पांचवीं अनुसूची क्षेत्र के अंतर्गत आता है। हमारे गाम कुड़ाल में पेशा (पंचायत उपबंध अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम 1996 लागू है। जिसके अंतर्गत ग्राम सभा को अपनी परंपरा और रूढ़िवादी संस्कृति का संरक्षण करने का अधिकार है। अत: हम ग्रामसभा के प्रस्ताव के आधार पर हमारे ग्राम कुड़ाल में ईसाई धर्म के पास्टर व पादरी व बाहर गांव से आने वाले धर्मांतरित व्यक्तियों के प्रवेश एवं ईसाई धर्म के किसी भी प्रार्थना प्रयोजन, धार्मिक आयोजन पर रोक लगाते हैं।
कुड़ाल गांव के सरपंच बिनेश गोटी ने बताया कि बड़ी संख्या में आदिवासी धर्म परिवर्तन कर रहे हैं। यह लगातार बढ़ता जा रहा है, इसलिए हमने गांव की चारों सीमाओं में बोर्ड लगाकर ईसाई धर्म के लोगों को गांव में पर रोक लगा दी है। यही नहीं कोई ईसाई धर्म का व्यक्ति किसी घर में जाता है, तो उसे शैतान की संज्ञा दी जाएगी। सरपंच ने इसे गांव की शीतला माता और ठाकुर देव की परंपरा संस्कृति को बचाने का प्रयास बताते हुए कहा कि ईसाई धर्म के लोग इसका विरोध करते हैं।
बस्तर संभाग के आदिवासी बाहुल्य इलाकाें में ग्रामीण धर्मांतरण काे लेकर काफी जागरूक हुए हैं, ग्रामीण लगभग सभी पंचायत स्तर पर ग्राम सभा का प्रस्ताव पारित कर किसी भी धर्मांतरित के माैत हाे जाने पर गांव में उसे दफनाने नहीं दिया जाता है। उल्लेखनीय है कि यह वही कुड़ाल गांव है, जहां पिछले दिनों एक ईसाई धर्मांतरित महिला के शव को दफनाने को लेकर विवाद हुआ था, जिसके बाद उस महिला के शव को भानुप्रतापपुर में दफनाया गया। यही नहीं दो-तीन दिन पहले ही कांकेर जिले के नरहरपुर के जामगांव में भी इसी तरह का विवाद सामने आया था। इन घटनाओं के बाद ग्राम कुडाल में लगाया गया बोर्ड धर्मांतरण के प्रति आदिवासी समाज में पनप रहे आक्रोश के नतीजा के रूप में देखा जा रहा है। पूरा बस्तर संभाग पांचवीं अनुसूची क्षेत्र के अंतर्गत आता है, ग्राम कुड़ाल के बाद अन्य ग्रामाें में भी इस तरह के बाेर्ड लगने लगेंगे ताे आश्चर्य की बात नहीं हाेगी। यहां पहले से ही ग्रामीण इलाकाें में धर्मांतरण का जाेरदार विराेध हाेता रहा है, विधानसभा एवं लाेकसभा चुनाव के दाैरान बस्तर संभाग में धर्मांतरण बड़ा मुद्दा रहा है।
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(Udaipur Kiran) / राकेश पांडे
