

अनूपपुर, 15 सितंबर (Udaipur Kiran) । सोमवार को देश अभियंता दिवस मना रहा है। वैसे तो अभियंता के लिए भारी भरकम पढ़ाई करनी पड़ती है, काम सीखना पड़ता है और अनुभव लेना पड़ता है। देश के अलग-अलग स्थानों से हर साल लाखों की संख्या में इंजीनियर पढ़कर निकलते हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ ऐसे लोग हैं, जिन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई तो नहीं की है,लेकिन उसकी सोच और दिमाग में इंजीनियरिंग है। ऐसे ही जुगाड़ से काम को आसान बनाने की दिशा में काम कर रहे मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले के दो युवाओं ने अभियंताओं भी सोचने पर मजबूर कर दिया। एक ने बोरवेल मशीन बनाई तो दूसरे ड्रोन ट्रैक्सी बनाई।
बदरा निवासी रामस्वरूप विश्वकर्मा ने देसी जुगाड़ से कमाल की इंजीनियरिंग दिखाई है। उन्होंने करोड़ों की बोरिंग मशीन को 8 लाख में बना दिया है। अभी तक लागत की तीन गुना कमाई भी कर चुके हैं। रामस्वरूप ने बताया कि बोरवेल का उत्खनन काफी महंगा होता है। आम लोगों के बजट से यह उत्खनन काफी ज्यादा होने के कारण उन्होंने बोरवेल उत्खनन की मशीन बनाई है। इसके कुछ पार्ट्स गुजरात से उन्होंने मंगाए और बाकी खुद से तैयार किए। दसवीं फेल रामस्वरूप ने बताया कि 2015 से वह इस योजना पर कार्य कर रहे थे। अभी तक उन्होंने 200 बोर कर डाले हैं। देसी जुगाड़ से निर्मित बोरवेल मशीन 300 फीट तक 10 इंच बोरवेल का उत्खनन कर डालती है। वह वर्तमान में एक नई योजना पर भी कार्य कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि कंस्ट्रक्शन कार्य में उपयोग होने वाली मिक्सर मशीन 30 से 35 लाख रुपए में मिलती है। महंगी होने के कारण इसका उपयोग करना आमजन के लिए मुश्किल होता है। वह देसी तकनीक से इसका निर्माण कर रहे हैं।
ग्राम खाडा निवासी रितिक कुमार गुप्ता ने जुगाड़ इंजीनियरिंग का नमूना पेश करते हुए 5 लाख की लागत से ड्रोन टैक्सी बनाई है। रितिक कुमार गुप्ता वर्तमान में एसईसीएल कोयला खदान में कार्यरत हैं। उन्होंने बीटेक में एडमिशन लिया था, लेकिन मजबूरी में सेकंड ईयर में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ी। रितिक ने बताया कि इस प्रोजेक्ट में उन्होंने 5 लाख 50 हजार रुपए खर्च किए हैं। 6 महीने में उन्होंने तैयार किया है। हालांकि अभी भी पांच फीसदी काम होना बाकी है। पांच बार इसका सफल परीक्षण किया है। रितिक ने बताया कि इसके कुछ पार्ट्स उन्होंने कोलकाता और कुछ मुंबई से मंगाए हैं। अभी इसमें सेफ्टी डिवाइस लगाने का कार्य बाकी है। रितिक ने बताया कि यह शहरी परिवहन समस्या का समाधान हो सकता है। साथ ही सस्ते और सुलभ और ट्रांसपोर्ट में भी इसका उपयोग किया जा सकता है। यह पर्यावरण के अनुकूल है तथा मेक इन इंडिया तकनीक को भी आगे बढ़ने का कार्य कर सकता है। सेफ्टी डिवाइस का कार्य पूर्ण होने के साथ ही यह यात्रियों के लिए सुरक्षित और भरोसेमंद बन सकता है। रितिक ने बताया कि देश में कुछ लोग इस पर कार्य कर रहे हैं लेकिन अभी तक इसका विक्रय नहीं हो रहा है। विदेश में एक सीटर ड्रोन टैक्सी 1 करोड़ रुपए में मिलती है। यदि यह योजना सफल हुई तो वह 15 लाख रुपए तक में इसे उपलब्ध कराएंगे। साथ ही 3 सीटर बनाएंगे। उन्होंने बताया कि इसमें आठ मोटर लगाए गए हैं और प्रत्येक मोटर 56 किलो का वजन उठा सकता है।
(Udaipur Kiran) / राजेश शुक्ला
