Uttar Pradesh

रसोईघर के अपशिष्ट से बन सकेगी ऊर्जाः प्रो. ओपी. सिन्हा

सेमिनार हाल में उपस्थित छात्र छात्राएं
सेमिनार में बच्चों को संबोधित करते हुए कुलपति डॉ वंदना सिंह

जौनपुर, 13 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर के सेंटर फॉर रिन्यूएबल एनर्जी एवं प्रो. राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैया) भौतिक विज्ञान अध्ययन एवं अनुसंधान संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में “एडवांस्ड फंक्शनल मैटेरियल्स फॉर एनर्जी एप्लिकेशंस” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन सोमवार को किया गया। यह सेमिनार विश्वविद्यालय को प्राप्त भारत सरकार के डीएसटी–पर्स प्रोजेक्ट के अंतर्गत आयोजित किया गया।

इस अवसर पर प्रो. ओपी सिन्हा, निदेशक, एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ नैनोटेक्नोलॉजी, एमिटी यूनिवर्सिटी, नोएडा ने अपशिष्ट पदार्थों से ऊर्जा के संचयन की संभावनाओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि रसोईघर से उत्पन्न सब्जियों और अन्य जैविक अपशिष्टों से ऊर्जा संचयन हेतु उच्च दक्षता वाले सुपरकैपेसिटर उपकरण विकसित किए जा सकते हैं।

अध्यक्षीय सम्बोधन में कुलपति प्रो. वंदना सिंह ने कहा कि भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उच्च दक्षता वाले फंक्शनल मटेरियल्स के विकास की आवश्यकता है। इन पदार्थों के माध्यम से देश में ऊर्जा उपकरणों के स्वदेशी निर्माण को प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे आत्मनिर्भर भारत की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ेगा।

एम.एन.एन.आई.टी. प्रयागराज से प्रो. एस. एन. पांडेय ने सुपरकैपेसिटर और बैटरियों के लिए उपयोगी उन्नत पदार्थों के गुणधर्मों पर चर्चा की। वहीं डॉ. उपेन्द्र कुमार ने फ्यूल सेल निर्माण और हाइड्रोजन ऊर्जा के विकास में फंक्शनल पदार्थों की भूमिका पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। आई.आई.टी. इंदौर से प्रो. मृगेन्द्र दुबे सॉफ्ट पदार्थों के ऊर्जा क्षेत्र में अनुप्रयोगों पर चर्चा की। विभिन्न तकनीकी सत्रों में आमंत्रित विशेषज्ञों ने अपने शोध अनुभव साझा किए। रज्जू भैया संस्थान के निदेशक प्रो. प्रमोद कुमार यादव ने कहा कि ऊर्जा के क्षेत्र में फंक्शनल एवं नैनोस्ट्रक्चर्ड पदार्थों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। सौर ऊर्जा, हाइड्रोजन ईंधन, उच्च क्षमता वाली बैटरियों और ऊर्जा भंडारण तकनीकों के विकास में ये पदार्थ नवाचार का आधार बन रहे हैं।

विज्ञान संकाय अध्यक्ष प्रो. राजेश शर्मा ने कहा कि ऊर्जा दोहन के क्षेत्र में हमें सूक्ष्मजीवी प्रणालियों के माध्यम से ऊर्जा प्राप्ति पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए। वहीं अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ के समन्वयक प्रो. देवराज सिंह ने भारतीय परिप्रेक्ष्य में सौर ऊर्जा के महत्व को रेखांकित किया। कार्यक्रम संयोजक डॉ. धीरेंद्र कुमार चौधरी ने सेमिनार की रूपरेखा प्रस्तुत की। संचालन डॉ. काजल कुमार डे और डॉ. सुजीत चौरसिया ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

(Udaipur Kiran) / विश्व प्रकाश श्रीवास्तव

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