Madhya Pradesh

किसानों को जैविक खेती के लिये प्रोत्साहित करें: कंषाना

ग्वालियर में “64वी अखिल भारतीय गेहूँ एवं जौ अनुसंधान कार्यकर्ता गोष्ठी” में शामिल हुए केन्द्रीय कृषि मंत्री

ग्वालियर, 26 अगस्त (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश के किसान कल्याण व कृषि विकास मंत्री ऐदल सिंह कंषाना ने कहा कि खुशी की बात है कि सरकार की किसान हितैषी योजनाओं की बदौलत मध्य प्रदेश सात बार कृषि कर्मण अवार्ड से सम्मानित हो चुका है। उन्होंने उत्पादन बढ़ने के लिये किसानों व कृषि वैज्ञानिकों को बधाई दी। साथ ही रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध इस्तेमाल से सामने आ रहे दुष्परिणामों के प्रति चिंता जाहिर करते हुए कृषि वैज्ञानिकों से कहा कि वे किसानों को जैविक खेती के लिये प्रोत्साहित करें। उन्होंने कहा किसान खुशहाल होंगे तो देश भी खुशहाल होगा।

कृषि मंत्री कंषाना मंगलवार को ग्वालियर में राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के दत्तोपंत ठेंगड़ी सभागार में आयोजित तीन दिवसीय “64वी अखिल भारतीय गेहूँ एवं जौ अनुसंधान कार्यकर्ता गोष्ठी” के दूसरे दिन कृषि वैज्ञानिकों, प्रगतिशील किसानों, कृषि उद्यमियों एवं कृषि विद्यार्थियों को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मंचासीन थे। उन्होंने भी गोष्ठी को संबोधित किया।

इस कृषक गोष्ठी में देश के 12 राज्यों से आए कृषि वैज्ञानिक, प्रगतिशील किसान, कृषि उद्यमी एवं कृषि विद्यार्थी हिस्सा ले रहे हैं। गोष्ठी के दूसरे दिन भारत सरकार के कृषि अनुसंधान एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक प्रो. एम एल जाट, अपर सचिव प्रमोद कुमार, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक (प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन) डॉ. एके नायक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के निदेशक रतन तिवारी, राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के कुलगुरू प्रो. अरविंद कुमार शुक्ला और कृषि विश्वविद्यालय हिसार हरियाणा के कुलपति डॉ. बीआर कम्बोज सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मंचासीन थे।

प्रगतिशील किसानों व एफपीओ के प्रतिनिधियों ने सफलता के अनुभव साझा किए

देश के विभिन्न राज्यों से आए प्रगतिशील किसानों ने इस अवसर पर अपनी सफलता के अनुभव साझा किए। इन किसानों में संरक्षित खेती कर रहे कृषक विकास ने बताया कि वह 28 क्विंटल तक प्रति एकड़ गेहूँ का उत्पादन प्राप्त कर रहे हैं। अलीराजपुर मध्य प्रदेश से आए कृषक युवराज सिंह ने बताया कि उन्होंने 6 हजार आम के पेड़ लगाए हैं, इनसे वर्ष 2025 में उन्हें 20 लाख रुपये की आमदनी हुई है। इस खेती से उनकी आय 10 गुना बढ़ी है। इसी तरह पटियाला पंजाब से आए कृषक गुरमीत सिंह का कहना था कि उन्होंने पराली जलाने से तौबा कर ली है। उत्पादन भी बढ़कर 34 क्विंटल प्रति एकड़ हो गया है। इसी तरह एफपीओ चला रहे दीपक व बनारसी देवी सहित अन्य प्रतिनिधियों ने एफपीओ के माध्यम से किसानों के कल्याण के लिये किए जा रहे कार्यों पर प्रकाश डाला।

केन्द्रीय कृषि अनुसंधान शिक्षा विभाग के सचिव एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. एम एल जाट ने तीव्र किस्म प्रतिस्थापन, जलवायु-स्मार्ट एवं उच्च उत्पादक किस्मों का विकास, मृदा पोषण प्रबंधन, दलहन एवं तिलहन की ओर विविधीकरण, संसाधन अनुकूलन, सटीक कृषि, समेकित कीट प्रबंधन, जीन संपादन, मशीनीकरण, डिजिटल कृषि तथा कटाई उपरांत मूल्य श्रृंखला विकास पर बल दिया। भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. रतन तिवारी द्वारा वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। उन्होंने वर्ष 2024-25 में गेहूं उपज की प्रगति का परिणाम बताया। साथ ही 30 मिलियन हेक्टेयर स्थिर क्षेत्र से वर्ष 2030 तक 125 मिलियन टन तथा वर्ष 2050 तक 150 मिलियन टन उत्पादन प्राप्त करने की रणनीति प्रस्तुत की।

विश्वविद्यालय के कुलगुरू प्रो. अरविन्द कुमार शुक्ला ने मिट्टी में जिंक व सल्फर तत्वों की कमी की ओर वैज्ञानिकों का ध्यान आकर्षित किया। साथ ही हरियाणा की तर्ज पर मध्य प्रदेश में भी पराली प्रबंधन नीति लागू करने का आग्रह किया। केन्द्रीय कृषि विभाग के अपर सचिव प्रमोद कुमार मेहरदा और कृषि विश्वविद्यालय हरियाणा के कुलपति डॉ. कम्बोज ने भी संबोधित किया।

(Udaipur Kiran) तोमर

Most Popular

To Top