HimachalPradesh

सरकारी स्कूलों को सीबीएसई बोर्ड में स्थानांतरित करने के मामले में मुख्यमंत्री से मिला कर्मचारी संघ

धर्मशाला, 13 सितंबर (Udaipur Kiran) । पीएमश्री योजना के तहत प्रदेश सरकार द्वारा राज्य के 200 सरकारी स्कूलों को सीबीएसई बोर्ड में स्थानांतरित करने के मामले के खिलाफ लामबंद हुए स्कूल शिक्षा बोर्ड कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों ने अब मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू से शिमला में मुलाकात की है। इस मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री ने संघ को आश्वस्त किया है कि वह खुद इस मामले को स्टडी करेंगे, उसके बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा। संघ के अध्यक्ष सुनील शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री ने संघ को आश्वासन दिया है कि इस मामले को वह खुद देखेंगे।

गौरतलब है कि स्कूल शिक्षा बोर्ड के कर्मचारी इसके विरोध में उतर आया है और सरकार से जल्द इस पर पुनर्विचार करने की मांग की है। संघ का मानना है कि इस योजना के तहत स्कूलों की सीबीएसई से संबद्धता अनिवार्य नहीं है, राज्य बोर्ड भी इसके तहत कार्यान्वित हो सकता है, बावजूद इसके सरकार की इस तरह की सोच बोर्ड हित में कतई नही है।

हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड कर्मचारी संघ के प्रधान सुनील शर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य के 200 सरकारी स्कूलों को हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड से हटाकर केंद्रीय माध्यमिक बोर्ड में स्थानांतरित करने पर विचार कर रही हैै, जिस पर कर्मचारी यूनियन ने चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि अगर प्रदेश के 200 स्कूलों को सीबीएसई बोर्ड में स्थानांतरित कर दिया जाएगा, तो इससे जहां प्रदेश सरकार पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ेगा, वहीं ग्रामीण छात्रों के लिए भी कठिनाई होगी।

उन्होंने कहा कि एचपी बोर्ड के पाठ्यक्रम में हिमाचल प्रदेश की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और भौगोलिक विशेषताओं को समाहित किया जाता है, जबकि सीबीएसई में यह स्थानीय दृष्टिकोण नहीं होता, जिससे विद्यार्थियों की स्थानीय पहचान और समझ कमजोर होगी।

उन्होंने कहा कि इस बदलाव का सबसे अधिक प्रभाव ग्रामीण छात्रों पर पड़ेगा। राज्य में बड़ी संख्या में छात्र हिंदी माध्यम में पढ़ते हैं। सीबीएसई का पाठ्यक्रम और परीक्षा प्रणाली मुख्यत: अंग्रेजी आधारित है, जिससे ग्रामीण व वंचित वर्ग के छात्रों को कठिनाई होगी। इसके चलते सीबीएसई का पाठ्यक्रम ग्रामीण, पिछड़े और हिंदी माध्यम के छात्रों के लिए अचानक लागू करना अनुचित होगा। इस फैसले से वे मानसिक और शैक्षणिक दवाब में आ सकते हैं। इसके अलावा राज्य की स्वायत्ता के सम्मान को भी ठेस पहुंचेगी।

उन्होंने कहा कि आंध्रप्रदेश और उत्तर प्रदेश में सीबीएसई की ओर अचानक स्थानांतरण से शिक्षा व्यवस्था अस्थिर हो चुकी है, जिसमें से आंध्र प्रदेश ने लगभग 1000 सरकारी स्कूलों को सीबीएसई में परिवर्तित किया था, उन्हें अब दोबारा से संबंधित राज्य के बोर्ड में स्थानांतरित कर दिया गया है।

गौरतलब है कि बीते दिनों इसी मुद्दे को लेकर संघ ने बोर्ड अध्यक्ष डॉ राजेश शर्मा को एक ज्ञापन सौंप कर मांग की है कि वे उनकी आवाज को प्रदेश सरकार के साथ उठाएं और इन स्कूलों के होने वाले परिवर्तन को रोकें।

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(Udaipur Kiran) / सतेंद्र धलारिया

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