Uttrakhand

प्रधानमंत्री पोषण योजना में गबन की जांच एसआईटी को सौंपी

मंत्री धन सिंह रावत।

देहरादून, 06 सितंबर (Udaipur Kiran) । प्रधानमंत्री पोषण योजना (मिड डे मील) एवं शक्ति निर्माण योजना में हुये घोटाले की जांच एसआईटी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) को सौंप दी गई है। विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने जांच को एसआईटी को सौंपने की संस्तुति करते हुए कहा कि सरकारी धन की हेराफेरी में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जायेगा।दो माह पहले पीएम पोषण प्रकोष्ट देहरादून में वित्तीय अनियमितता की शिकायत मिली थी। जिस पर विभागीय जांच कराई गई। जांच में उपनल के माध्यम से सेवायोजित कार्मिक प्रत्यक्ष रूप से दोषी पाया गया, जबकि तत्कालीन अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है।विद्यालयी शिक्षा विभाग के अंतर्गत जनपद देहरादून में पीएम पोषण प्रकोष्ट में 3 करोड़ 18 लाख रुपये सरकारी धन के गबन का मामला सामने आया था। प्रकारण की संवेदनशीलता को देखते हुये विभागीय स्तर पर जांच बिठाई गई। अपर निदेशक गढ़वाल मंडल की अध्यक्षता में की गई जांच की विस्तृत रिपोर्ट शासन को सौंपी दी गई। प्रथमदृष्ट्या गबन का मामला सामने आया है, जिसकी तह तक पहुंचने और दोषियों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई किये जाने के दृष्टिगत उच्च स्तरीय जांच की सिफारिश की गई।मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत ने कड़ा रूख अपनाते हुये सरकारी धनराशि के गबन की जांच एसआईटी को सौंपने की संस्तुति कर दी है। साथ ही उन अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जायेगी, जिन्होंने शासकीय दायित्वों के निर्वहन में लापरवाही बरती है।विभागीय मंत्री ने बताया कि जांच रिपोर्ट में देहरादून जनपद के जिला शिक्षा अधिकारी (बेसिक) कार्यालय में उपनल से सेवायोजित एमआईएस समन्वयक नवीन सिंह रावत को प्रत्यक्ष रूप से सरकारी धन के गबन का दोषी ठहराया गया है। उन्होंने बताया कि जांच रिपोर्ट में आरोपित ने अपने तकनीकी ज्ञान का दुरूपयोग कर वर्ष 2023-24 से वर्ष 2025-2026 की अवधि के दौरान तीन करोड़ 18 लाख से अधिक सरकारी धन की हेराफरी की और उक्त धनराशि को ऑनलाइन माध्यम से अलग-अलग अज्ञात खातों में ट्रांसफर की। हालांकि इस प्रकरण में किसी अन्य कार्मिक की प्रत्यक्ष संलिप्तता की पुष्टि नहीं हुई है लेकिन उक्त अवधि के दौरान कई जिला शिक्षा अधिकारी बेसिक सहित वित्त एवं लेखाधिकारी जांच के घेरे में हैं जो अपने शासकीय दयित्वों का निर्वहन करने में असफल पाये गये। इन सभी के खिलाफ उत्तराखंड सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) अधिनियम के तहत कार्रवाई सुनिश्चित की जायेगी।उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने बिना किसी जांच के पीएम पोषण संबंधी खातों से धनराशि का ऑनलाइन अवैध हस्तांतरण विभिन्न खातों में होने दिया, जो कि अपने दायित्वों के निर्वहन में घोर लापरवाही का मामला बनता है। भविष्य में ऐसे प्रकरण न हों, इसके लिये वित्तीय एवं अन्य गोपनीय कार्य केवल जिम्मेदार और सक्षम स्थाई कार्मिकों को ही सौंपने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिये गये हैं।

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(Udaipur Kiran) / राजेश कुमार

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