
जयपुर, 28 अगस्त (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने आमेर किले और अन्य संबंधित स्थानों पर हाथी सवारी की दर 2500 रुपए से कम कर 1500 रुपए करने के आदेश पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही अदालत ने मामले में कला एवं संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव व निदेशक, पुरातत्व निदेशक और पर्यटन निदेशक सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। इसके साथ ही अदालत ने सवारी की दर कम करने वाले अधिकारी को शपथ पत्र पेश कर इस संबंध में अपना जवाब देने को कहा है। वहीं अदालत ने पुरातत्व सचिव को 23 सितंबर को व्यक्तिगत या वीसी के जरिए अदालत में पेश होने को कहा है। जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश हाथी गांव विकास समिति व अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।
अदालत ने अधिवक्ता प्रकाश कुमार झा ने अदालत को बताया कि विभाग ने राजस्थान स्मारक एवं पुरातत्व स्थल अधिनियम, 1961 की धारा 38 के तहत 8 अप्रैल, 1976 को जारी अधिसूचना के तहत शक्तियों का प्रयोग कर गत 9 जनवरी को आदेश जारी कर आमेर महल व अन्य संबंधित स्थलों पर हाथी सवारी की दर 2500 रुपए से घटाकर 1500 रुपए कर दी। याचिका में कहा गया कि हाथियों के रखरखाव, देखभाल और चिकित्सा में भारी खर्च होता है। इसके अलावा प्रदेश और खासतौर पर जयपुर में पर्यटन सीजन सीमित समय का होता है। वहीं महावतों और उनके परिवार की आजीविका पूरी तरह से हाथी सवारी पर निर्भर है। याचिका में यह भी कहा गया कि निजी समूह अनधिकृत तौर पर पुलिस अफसरों और ट्रेवल एजेंसियों की मिलीभगत कर पर्यटकों को हाथी सवारी के तौर पर दस हजार रुपए तक वसूल रहे है और उन्हें निर्धारित राशि का ही भुगतान किया जाता है। जिससे न केवल महावतों को आर्थिक नुकसान होता है, बल्कि प्रदेश की बदनामी व पर्यटन व्यवसाय पर प्रतिकूल प्रभाव पडता है।
याचिका में कहा गया कि आमेर किले में हाथी सवारी लंबे समय से विरासत का प्रतीक रही है। एक ओर महावतों पर यहां कई तरह की पाबंदियां लगाई जा रही है, जबकि दूसरी ओर निजी एजेंसियों को बेतहाशा मुनाफाखोरी करने का अनुचित अधिकार दिया है। ऐसे में अब हाथी सवारी की दर कम कर महावतों और हाथियों के जीवन को कठिनाई में डाला जा रहा है। इसलिए हाथी सवारी की दर कम करने के आदेश को रद्द रद्द किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए हाथी सवारी की दर कम करने के आदेश पर रोक लगा दी है।
—————
(Udaipur Kiran)
