कोलकाता, 26 जुलाई (Udaipur Kiran) ।
बंगाल विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटे चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल में बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) के प्रशिक्षण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस कवायद को लेकर जहां एक ओर इसे मतदाता सूची के विशेष संशोधन की दिशा में प्रारंभिक कदम माना जा रहा है, वहीं तृणमूल कांग्रेस ने इसे एक ‘राजनीतिक साजिश’ करार दिया है और दावा किया है कि बंगाल में इस तरह के प्रयास सफल नहीं होंगे।
चुनाव आयोग ने हाल ही में राज्य सरकार को एक पत्र भेजकर निर्देश दिया है कि बीएलओ और उनके पर्यवेक्षकों को मिलने वाले भत्तों में वृद्धि की जाए। आयोग ने कहा है कि वर्ष 2015 में निर्धारित राशि को संशोधित कर बीएलओ के लिए वार्षिक 12 हजार और पर्यवेक्षकों के लिए 18 हजार का भुगतान सुनिश्चित किया जाए। साथ ही आयोग ने ‘विशेष अभियान’ के तहत अतिरिक्त दो हजार की ‘इनटेंसिव’ व्यवस्था करने का निर्देश भी दिया है। हालांकि आयोग की चिट्ठी में ‘विशेष अभियान’ की स्पष्ट व्याख्या नहीं दी गई है, जिससे इस पर तरह-तरह की अटकलें लग रही हैं।
शनिवार को कोलकाता के नजरूल मंच में आयोजित कार्यक्रम में नदिया, उत्तर और दक्षिण 24 परगना तथा मुर्शिदाबाद जिलों के बीएलओ को प्रशिक्षण दिया गया। आयोग का कहना है कि यह एक नियमित प्रक्रिया है और चुनाव से पहले बीएलओ को प्रशिक्षित करना आवश्यक होता है, खासकर जब इस बार संविदा कर्मियों को चुनावी प्रक्रिया में लगाने की अनुमति नहीं है। इस कारण बड़ी संख्या में नए बीएलओ की नियुक्ति हुई है, जिनके लिए प्रशिक्षण और भी जरूरी हो गया है।
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तृणमूल कांग्रेस ने आयोग की मंशा पर उठाए सवाल
हालांकि तृणमूल कांग्रेस ने इस प्रक्रिया को लेकर गहरी आशंका जताई है। पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष जयप्रकाश मजूमदार ने कहा, “चुनाव आयोग अन्य राज्यों की तरह बंगाल में भी भाजपा की मदद करने की कोशिश कर रहा है। लेकिन यहां ऐसा करना आसान नहीं होगा क्योंकि राज्य के हर बूथ पर तृणमूल का संगठित नेटवर्क मौजूद है। हर वैध मतदाता से हमारा सीधा संपर्क है। बंगाल में यह षड्यंत्र सफल नहीं होगा क्योंकि तृणमूल के कार्यकर्ता हर बूथ पर डटे रहेंगे।”
गौरतलब है कि बिहार में ‘एसआईआर’ की प्रक्रिया के दौरान जिस प्रकार से व्यापक बदलाव किए गए थे, उसके मद्देनज़र तृणमूल कांग्रेस को आशंका है कि पश्चिम बंगाल में भी इसी तरह की कोई योजना बनाई जा रही है। हालांकि अभी तक आयोग ने राज्य में किसी विशेष संशोधन की आधिकारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन प्रशिक्षण और चिट्ठियों जैसे कदमों को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
