

ग्वालियर, 11 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में महाराजपुरा थाना क्षेत्र से पुलिस ने आठ बांग्लादेशी नागरिकों को पकड़ा है। शनिवार को यह कार्रवाई हरियाणा पुलिस के इनपुट पर की गई है। पकड़ाए लोग फिलहाल महाराजपुरा थाना पुलिस की निगरानी में हैं। ये सभी एक ही परिवार के हैं। जिस इलाके से इन्हें पकड़ा गया है, उसी इलाके में भारतीय वायु सेना का महाराजपुरा एयरबेस है। लिहाजा इनके मोबाइल से मिले नंबरों के जरिए कई अहम जानकारियां जुटाई जाएगी। खुफिया जांच एजेंसियां भी सक्रिय हो गई हैं।
बताया गया है कि पकड़े गए बांग्लादेशी लोग बिना नागरिकता के 12 साल से यहां रह रहे थे। इनके रिश्तेदार हरियाणा के पानीपत में करीब एक हफ्ते पहले पकड़े गए थे। उनसे पूछताछ के बाद मिले इनपुट पर ग्वालियर पुलिस सक्रिय हुई। हरियाणा पुलिस की एक टीम भी ग्वालियर आई है, तब इन्हें पकड़ा गया।
ग्वालियर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) धर्मवीर सिंह ने बताया कि सभी को डिटेन कर लिया गया है। उनसे पूछताछ चल रही है। सभी के मोबाइल फोन जब्त कर लिए गए हैं। कई संदिग्ध नंबर मिले हैं, जिनकी जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा एजेंसियां भी इनसे पूछताछ करेंगी, क्योंकि मामला संवेदनशील क्षेत्र से जुड़ा है। महाराजपुरा इलाके में एयरबेस, बीएसएफ, सीआरपीएफ और मिलिट्री के महत्वपूर्ण केंद्र हैं। जांच पूरी होने के बाद इन्हें बांग्लादेश डिपोर्ट किया जाएगा।
पकड़े गए बांग्लादेशी नागरिकों में मोहम्मद शरीफ (40) पुत्र मोहम्मद, सीलिमा (25) पत्नी मोहम्मद शरीफ, रफीक (14) पुत्र मोहम्मद शरीफ, चुमकी पुत्री मोहम्मद शरीफ, अदोरी (8), आशिक (15)- मोहम्मद शरीफ का भांजा, रातुल शेख (23) पुत्र शादाक और उजा (2) पुत्र रातुल शामिल है। पुलिस की पूछताछ में पता चला है कि यह सभी बांग्लादेश के जेस्सोर शहर के रहने वाले हैं। पकड़े गए मोहम्मद शरीफ का पिता नूर सबसे पहले भारत आया था। वह ग्वालियर में रह रहा था। उसकी बावड़ी में गिरकर मौत हो गई थी। इसके बाद परिवार यहीं बस गया।
मोहम्मद शरीफ ने बताया कि वह करीब 12 साल पहले बांग्लादेश से कोलकाता पहुंचा। इसके बाद ग्वालियर आकर मजदूरी करने लगा। अदोरी और उजा का जन्म ग्वालियर में ही हुआ है। सभी बांग्लादेशी महाराजपुरा में कचरा इकट्ठा कर उसे नष्ट करने की ठेकेदार का काम करते थे। पकड़ाए बांग्लादेशी नागरिक रातुल शेख ने बताया है कि वह 5 साल पहले भारत आया। उसने चार हजार रुपये देकर देश की सीमा पार की थी। इसके बाद ग्वालियर आकर रहने लगा। ये सभी महाराजपुरा क्षेत्र में एक घर में रह रहे थे। जो दीनदयाल नगर क्षेत्र में रहने वाले देवेंद्र कंसाना के कचरा इकट्ठा कर नष्ट करने की ठेकेदारी का करते हैं। इस काम के बदले वह बांग्लादेशियों को हर महीने 15 हजार रुपये देता था।
स्थानीय लोगों का कहना है कि ये बांग्लादेशी परिवार यहां कई सालों से किराए पर रह रहे थे। वे छोटे कारोबार, मजदूरी और कामकाज में लगे थे। शहरवासियों ने कहा कि ग्वालियर में हजारों किराएदार बिना वेरिफिकेशन के रह रहे हैं, जो सुरक्षा के लिहाज से चिंता का विषय है। सुरक्षा एजेंसियों ने अब ऐसे इलाकों में निगरानी बढ़ा दी है। शहर के आउटर इलाकों में किराएदारों और बाहरी लोगों का वेरिफिकेशन अभियान चलाया जाएगा।
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(Udaipur Kiran) तोमर
