
कोलकाता, 28 जुलाई (Udaipur Kiran) ।
पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का स्वागत किया, जिसमें कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई गई है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित संशोधित अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) सूची के क्रियान्वयन पर रोक लग गई थी।
शिक्षा मंत्री ने इस फैसले को राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओबीसी नीति की “नैतिक जीत” करार दिया। उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा, आज माननीय सुप्रीम कोर्ट में मिली रोक हमारे मुख्यमंत्री की ओबीसी नीति की नैतिक जीत है। उच्च शिक्षा विभाग पहले से ही इस स्थिति की आशंका कर रहा था और हम तुरंत उपयुक्त कार्रवाई के लिए तैयार हैं।
सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ, जिसमें मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई, न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया शामिल थे, ने सोमवार को इस मामले में राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई की। पीठ ने कहा, प्रथम दृष्टया हाईकोर्ट का आदेश त्रुटिपूर्ण प्रतीत होता है।
राज्य की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ को बताया कि हाईकोर्ट का आदेश चौंकाने वाला है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी टिप्पणी की, यह हैरान करने वाला है। हाईकोर्ट ऐसा आदेश कैसे दे सकता है? आरक्षण कार्यपालिका का विषय है।
उल्लेखनीय है कि मई 2024 में कलकत्ता हाईकोर्ट ने ओबीसी सूची में शामिल 77 समुदायों की मान्यता को रद्द कर दिया था। इसके बाद राज्य सरकार ने संशोधित सूची तैयार की थी, लेकिन 17 जून को हाईकोर्ट ने ओबीसी-ए और ओबीसी-बी श्रेणियों के तहत जारी 140 उपवर्गों से संबंधित अधिसूचनाओं पर अंतरिम रोक लगा दी थी।
इसी विवाद के कारण पश्चिम बंगाल संयुक्त प्रवेश परीक्षा बोर्ड (डब्ल्यूबीजेईई) की चेयरपर्सन सोनाली चक्रवर्ती बनर्जी ने पहले ही बताया था कि बोर्ड जुलाई के पहले सप्ताह में परिणाम घोषित करने के लिए तैयार था, लेकिन मामला न्यायालय में विचाराधीन हो जाने के कारण उन्होंने उच्च शिक्षा विभाग से निर्देश मिलने तक इंतजार करने का फैसला किया।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
