Maharashtra

ठाणे में मूर्ति विसर्जन व्यवस्था में पूर्व कोपरी क्षेत्र उपेक्षित

मुंबई,25 अगस्त ( हि.स.) । ठाणे में गणपति बप्पा के आगमन का उत्सव जहाँ एक ओर चल रहा है, वहीं ठाणे नगर निगम की पर्यावरण-अनुकूल विसर्जन व्यवस्था के पर्चे से ‘कोपरी’ का ज़िक्र ही गायब कर दिया गया है! हालाँकि समिति का आधिकारिक नाम नौपाड़ा और कोपरी वार्ड समिति था, फिर भी पर्चे से ‘कोपरी’ शब्द हटा दिया गया। इस घटना के प्रकाश में आते ही कोपरीवासियों में तीव्र आक्रोश फैल गया और नागरिकों ने सार्वजनिक रूप से विरोध करते हुए कहा, इसे कोपरी के अस्तित्व पर डाल दो।

कोपरी वार्ड अपनी शांतिपूर्ण, सरल और सुसंस्कृत जीवनशैली के लिए जाना जाता है। लगभग दो लाख की आबादी वाले इस वार्ड ने ठाणे के सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन में हमेशा योगदान दिया है। हालाँकि, नागरिकों ने खेद व्यक्त किया है कि नगर निगम द्वारा इसे बार-बार अनदेखा किया जा रहा है।

ठाणे कोपरी पूर्व से पूर्व पार्षद और परिवहन सदस्य प्रकाश कोटवानी ने बताया कि कोपरी वार्ड समिति, जो पहले स्वतंत्र थी, अब उसे नौपाड़ा समिति में मिला दिया गया। हालाँकि लोगों ने इसका विरोध किया, लेकिन इसे नज़रअंदाज़ कर दिया गया। अंततः नागरिकों ने इस निर्णय को स्वीकार कर लिया। लेकिन अब, यह देखकर कि आधिकारिक पर्चे में कोपरी का नाम नहीं है, नागरिकों में रोष है, वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता प्रकाश कोटवानी ने बताया।

कोपरीवासियों ने कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा, हम गणेश चतुर्थी के दौरान पर्यावरण के अनुकूल गतिविधियाँ भी आयोजित करते हैं। विसर्जन घाटों पर सैकड़ों स्वयंसेवक नगर पालिका की मदद करते हैं। लेकिन हमारे इलाके को अक्सर गौण स्थान दिया जाता है। हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। ‘कोपरी’ सिर्फ़ एक भौगोलिक सीमा नहीं, बल्कि हमारी पहचान का गौरव है। इस पर्चे को तुरंत ठीक करने और कोपरी की गरिमा को बहाल करने की पुरज़ोर माँग है। इस संबंध में जब नगर निगम से संपर्क किया गया, तो एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पर्चे में हुई गलती को तुरंत ठीक कर दिया जाएगा।

ठाणे मनपा परिवहन सदस्य और वरिष्ठ समाज सेवक प्रकाश कोटवानी की यह भी शिकायत है कि अब जबकिकोपरी में गणेशोत्सव का उत्साह चरम पर है। कोपरी सबसे शांत वार्ड के रूप में जाना जाता है। यहाँ इतिहास, परंपरा और सांस्कृतिक पहचान रखने वाले कोपरी के नाम को कलंकित करना हमारे अस्तित्व का सीधा अपमान है।जबकि यहां दस से अधिक पार्षद हैं और प्रचुर मात्रा में टीएमसी को राजस्व दिया जाता है।

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(Udaipur Kiran) / रवीन्द्र शर्मा

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