श्रीनगर, 23 अगस्त (Udaipur Kiran) । उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आज श्रीनगर के टैगोर हॉल में वादीज़ हिंदी शिक्षा समिति द्वारा आयोजित हिंदी रंगमंच – हमारी भाषा, हमारी पहचान कार्यक्रम में युवाओं को संबोधित किया। अपने संबोधन में उपराज्यपाल ने जम्मू-कश्मीर में राजभाषा हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए वादी हिंदी शिक्षा समिति के उल्लेखनीय प्रयासों की सराहना की।
पिछले 75 वर्षों में, हिंदी देश और हमारी साझी संस्कृति को जोड़ने वाली भाषा बन गई है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हिंदी भाषा को पूरे देश की भावनाओं के आदान-प्रदान का माध्यम माना जाता था। हिंदी न केवल संचार का माध्यम है बल्कि हम भारतीयों के लिए गौरव, अखंडता, एकता और पहचान का प्रतीक भी है। इसने हमारी विविधता को एकता के सूत्र में पिरोने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
हिंदी के साथ-साथ हमें अपनी सभी भाषाओं पर गर्व होना चाहिए। उपराज्यपाल ने कहा हमें अपनी मातृभाषा के अलावा अन्य भाषाएँ भी सीखनी चाहिए और उन भाषाओं की सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत का प्रसार करना चाहिए। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में हुई चर्चा का उल्लेख करते हुए उपराज्यपाल ने कहा कि जब भारत में राजभाषा के चयन पर बहस चल रही थी तब हिंदी को सबसे अधिक समर्थन उन क्षेत्रों से मिला जहाँ हिंदी नहीं बोली जाती थी।
हमारे स्वतंत्रता सेनानियों और नीति निर्माताओं के लिए हिंदी राष्ट्र की पहचान से जुड़ी थी। उन्होंने हिंदी को सद्भाव के सूत्र के रूप में देखा और इसने हमारी सांस्कृतिक विरासत में मौजूद विविधता को और समृद्ध किया है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर की भाषाई विरासत को बढ़ावा देने के लिए संस्कृति विभाग और जम्मू-कश्मीर कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी के प्रयासों की भी सराहना की।
(Udaipur Kiran) / रमेश गुप्ता
