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दमदम सेक्स ट्रैफकिंग केस के दोषियों को मिली 20 साल की कैद

कोलकात्ता , 1 अगस्त (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल की आपराधिक जांच शाखा द्वारा वर्ष 2018 में दर्ज एक संगीन मानव तस्करी और यौन शोषण के मामले में न्यायालय ने शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाया। नाबालिग बच्चियों को देह व्यापार के लिए मजबूर करने के आरोप में चार अभियुक्तों को 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है। साथ ही अदालत ने पीड़ित नाबालिगों को दो लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है।

गौरतलब है कि दिनांक 21 फरवरी 2018 को सीआईडी, पश्चिम बंगाल की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट के अधिकारी निरीक्षक गौतम साहा को गुप्त स्रोत से सूचना मिली कि दमदम थाना क्षेत्र के अंतर्गत बेलघरिया एक्सप्रेसवे के पास स्थित ‘सिल्वर डोर होटल’ में देह व्यापार का रैकेट चलाया जा रहा है, जिसमें नाबालिग लड़कियों को जबरन शामिल किया गया है।

सूचना मिलने के पश्चात तुरंत एक ऑपरेशन चलाया गया, जिसमें दो नाबालिग लड़कियों सहित चार व्यस्क पीड़ित महिलाओं को होटल से निकाला गया। इस दौरान 12 आरोपितों को मौके से गिरफ्तार भी किया गया था।

रेड के दौरान अभियुक्तों, ग्राहकों और पीड़ितों के पास से कई मोबाइल फोन जब्त किए गए। इसके अलावा, 5000 की डिकॉय राशि और होटल के मैनेजर के डेस्क से 2,28,050 रूपए नकद बरामद किए गए, जिन्हें बाद में दमदम थाना मालखाने में सुरक्षित रखा गया।

इस मामले की जांच का भार पुलिस निरीक्षक स्वप्ना घोष को सौंपा गया था,जिन्होंने सभी कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए आरोपपत्र (चार्जशीट) दाखिल किया। इसके बाद बैरकपुर के माननीय अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में मुकदमे की सुनवाई शुरू हुई।

31 जुलाई 2025 को कोर्ट ने चार आरोपितों कृष्णा डे, मनींद्र नाथ अड़गरी, बुलु नियोगी और राखी घोष को दोषी करार देते हुए 20 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है।

इसके साथ ही, अदालत ने दो नाबालिग पीड़ितों को दो लाख रुपये की क्षतिपूर्ति देने का भी आदेश दिया है ताकि वे अपने जीवन को पुनः सामान्य बना सकें।

(Udaipur Kiran) / अनिता राय

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