
जयपुर, 12 जुलाई (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने एईएन के पद पर कार्यरत प्रार्थी के ब्रेन हेमरेज के चलते 80 फीसदी निशक्त होने और इस कारण विभाग में गैर हाजिर रहने पर उसे वेतन नहीं देने को गलत माना है। इसके साथ ही संबंधित विभाग को निर्देश दिया है कि वह प्रार्थी को चार सप्ताह में 6 फीसदी ब्याज सहित उसके बकाया वेतन व अन्य सेवा परिलाभ भुगतान करें। वहीं प्रार्थी को हर्जाना राशि के तौर पर 25 हजार रुपए भी दिए जाए। जस्टिस महेन्द्र कुमार गोयल ने यह आदेश सुनील कुमार गुप्ता की याचिका पर दिया। अदालत ने राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वे इस संबंध में पब्लिक सर्कुलर जारी करें, ताकि निशक्त व्यक्तियों को निशक्त अधिनियम 2016 का पूर्ण लाभ प्राप्त हो सके।
मामले से जुड़े अधिवक्ता सीपी शर्मा ने बताया कि प्रार्थी एग्रीकल्चर विभाग में एक जुलाई 1995 को जूनियर इंजीनियर के पद पर नियुक्त हुआ। इस दौरान नवंबर 2013 में उसे ब्रेन हेमरेज हुआ, जिससे उसके पैरालाइसिस हो गया। उसके मेडिकल परीक्षण में भी 80 फीसदी निशक्तता आई। पैरालाइसिस होने के कारण वह विभाग में गैर हाजिर रहा। जिस पर विभाग ने उसका वेतन सहित अन्य सेवा परिलाभ रोक लिए। इसे हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि विभाग द्वारा निशक्त व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम 2016 के अंतर्गत सुरक्षित होने के कारण उनके सेवा परिलाभ रोके नहीं जा सकते हैं। इसलिए प्रार्थी को गैर हाजिर अवधि के वेतन सहित अन्य सेवा परिलाभ का भुगतान ब्याज सहित करवाया जाए। अदालत ने प्रार्थी के पक्ष में निर्णय देते हुए विभाग को उसे बकाया वेतन व सेवा परिलाभ देने के लिए कहा।
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(Udaipur Kiran)
