
शिमला, 29 सितंबर (Udaipur Kiran News) । हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य को नशामुक्त बनाने के अपने अभियान को और प्रभावी बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने सिरमौर जिले के कोटला बड़ोग में अत्याधुनिक 100 बिस्तरों वाले नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र के निर्माण के लिए 5.34 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की है। इस केंद्र का उद्देश्य नशे की गिरफ्त में आ चुके युवाओं को इलाज और परामर्श की सुविधा देकर समाज की मुख्यधारा में वापस लाना है।
एक सरकारी प्रवक्ता ने साेमवार काे बताया कि राज्य सरकार ने मादक द्रव्यों के सेवन को रोकने और नशे के शिकार लोगों के पुनर्वास के लिए एक व्यापक दोहरी रणनीति अपनाई है। इस रणनीति में रोकथाम और पुनर्वास दोनों पर बराबर ध्यान दिया जा रहा है।
कोटला बड़ोग के अलावा, मंडी, लाहौल-स्पीति, चंबा, सोलन और सिरमौर में भी पांच नए नशा मुक्ति केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं। इसके साथ ही, प्रदेश भर के स्वास्थ्य संस्थानों में परामर्श और शीघ्र हस्तक्षेप के लिए 108 दिशा केंद्र शुरू किए गए हैं। इन केंद्रों में आशा कार्यकर्ताओं, चिकित्सकों और मनोचिकित्सकों को विशेष प्रशिक्षण देकर तैनात किया गया है।
फिलहाल राज्य में कुल्लू, ऊना, हमीरपुर और कांगड़ा में पुरुषों के लिए चार नशा मुक्ति केंद्र संचालित हो रहे हैं। इसके अलावा, कुल्लू जिले में रेड क्रॉस सोसाइटी द्वारा महिलाओं के लिए अलग से एक केंद्र भी चलाया जा रहा है।
राज्य सरकार ने दीर्घकालिक नीति के तहत नीति आयोग, पीजीआई और स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर एक राज्य कार्य योजना भी तैयार करनी शुरू कर दी है, जिसका उद्देश्य मादक पदार्थों की समस्या से स्थायी रूप से निपटना है।
जन जागरूकता अभियान के तहत अब तक 5.76 लाख से अधिक लोगों को नशीली दवाओं के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया गया है। यह अभियान प्रदेश के 5,660 गांवों और 4,332 शिक्षण संस्थानों में चलाया गया है, जिसमें किशोरों, युवाओं, महिलाओं और आम जनता को विशेष रूप से शामिल किया गया है।
कानून को सख्त बनाते हुए सरकार ने हिमाचल प्रदेश संगठित अपराध (रोकथाम एवं नियंत्रण) विधेयक, 2025 पारित किया है। इस कानून के तहत नशीली दवाओं की तस्करी में शामिल लोगों के लिए मृत्युदंड, आजीवन कारावास, 10 लाख रुपये तक जुर्माना और अवैध संपत्ति की जब्ती जैसी सख्त सजा का प्रावधान किया गया है।
इसके साथ ही, हिमाचल प्रदेश मादक पदार्थ एवं नियंत्रित पदार्थ (रोकथाम, नशामुक्ति एवं पुनर्वास) विधेयक, 2025 भी पारित किया गया है। इस कानून के तहत नशा मुक्ति, पुनर्वास, शिक्षा और आजीविका से जुड़ी पहलों के लिए एक राज्य कोष की स्थापना की जाएगी और साथ ही नशे के धंधे में लगे लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
राज्य में अवैध रूप से नशीले पदार्थों के निर्माण पर रोक लगाने के लिए उपमंडलाधिकारी की अध्यक्षता में एक विशेष निगरानी समिति का गठन भी किया जा रहा है। इस समिति में आबकारी, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी शामिल होंगे, जो दवा कंपनियों द्वारा नियमों के पालन की निगरानी करेंगे।
प्रवक्ता ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार राज्य को पूरी तरह नशामुक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए सरकार रोकथाम, पुनर्वास, जनजागरूकता और अपराधियों के खिलाफ कड़े कदम उठाने की दिशा में लगातार प्रयास कर रही है।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
