Madhya Pradesh

मध्य प्रदेश में महिला अपराध की भयावह तस्वीर, हर दिन 20 दुष्कर्म और 33 अपहरण

दुष्कर्म (प्रतीकात्मक तस्वीर)

भोपाल, 5 अगस्त (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के सातवें दिन मंगलवार को महिला अपराध को लेकर पूछे गए सवाल के लिखित जवाब में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। कांग्रेस विधायक प्रताप ग्रेवाल के प्रश्न पर राज्य सरकार की ओर से जो डेटा प्रस्तुत किया गया, उसने प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

गृह विभाग द्वारा कांग्रेस विधायक के सवाल के दिए गए लिखित जवाब में बताया गया कि जनवरी 2025 से जून 2025 के बीच प्रदेश में दुष्कर्म के कुल 3742 के मामले दर्ज हुए। पीड़िताओं में बड़ी संख्या अनुसूचित जाति (905), जनजाति (1143), ओबीसी (1228) और सामान्य वर्ग (466) की महिलाओं की रही। इसी अवधि में 120 महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार (गैंगरेप) की पुष्टि हुई है।

गृह विभाग के अनुसार, वर्ष 2024 में 319 गैंगरेप के प्रकरण दर्ज हुए, लेकिन उनमें से केवल 5 मामलों में ही अदालतों से दोषियों को सजा मिल पाई, यानी सजा की दर महज 1.6% रही। रेप मामलों में कुल 2.79% मामलों में ही न्याय हुआ। तुलनात्मक रूप से वर्ष 2018 में यह दर कहीं बेहतर थी, उस समय गैंगरेप मामलों में सजा दर 16.25% और बलात्कार मामलों में 12.43% थी।

2024 में अपहरण के मामलों में 53% उछाल

महिलाओं के अपहरण के मामलों में भी बड़ा इज़ाफा हुआ है। 2018 में जहां 6394 मामले दर्ज हुए थे, वहीं 2024 में इनकी संख्या बढ़कर 10,070 हो गई — यानी 53% की बढ़ोतरी। जनवरी से जून 2025 के बीच ही 5868 अपहरण के केस दर्ज हो चुके हैं।

विधायक प्रताप ग्रेवाल ने सरकारी आंकड़ों में विरोधाभास को लेकर सवाल उठाया। उनका कहना है कि 2024 के वार्षिक प्रतिवेदन में बलात्कार के 5592 केस दिखाए गए थे, जबकि विधानसभा में दिए गए उत्तर में यह संख्या 8518 बताई गई। यह 60% का अंतर सामान्य नहीं कहा जा सकता। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने जवाब में कहा कि रिपोर्टिंग की तारीख और अपराध की पुष्टि में समय अंतर होने से आंकड़ों में बदलाव हो सकता है। कई बार अपहरण के मामलों की जांच के बाद यदि बलात्कार की पुष्टि होती है तो केस की श्रेणी बदल जाती है।

विधायक ग्रेवाल ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि इतने बड़े अंतर वाले आंकड़े दर्शाते हैं कि मुख्यमंत्री मामले को कम आंकने या छिपाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने महिला अपराध में बढ़ती घटनाओं और बेहद कम सजा दर को लेकर चिंता जताई और कहा कि यह सरकार की नाकामी को दर्शाता है।

(Udaipur Kiran) तोमर

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