

ज्योतिर्मठ, 13 सितंबर (Udaipur Kiran) ।
ज्योतिर्मठ भू-धसाव के बाद देश के विभिन्न वैज्ञानिक संस्थानों ने भू धसाव के कारणों की जानकारी के लिए व्यापक स्तर पर सर्वेक्षण किया, जिसमें भू धसाव के अन्य कारणों मे एक प्रमुख कारण जोशीमठ मे सीवरेज एवं ड्रेनेज सिस्टम का नहीं होना भी बताया गया, और अलग अलग कार्यों के लिए कार्यदायी संस्थाओं को सर्वेक्षण व डीपीआर तैयार करने के निर्देश हुए। उत्तराखंड पेयजल संसाधन विकास एवं निर्माण निगम को सीवरेज एवं ड्रेनेज सिस्टम की डीपीआर बनाने के निर्देश हुए।
क्योंकि वैज्ञानिक रिपोर्ट के अनुसार भू धसाव का एक प्रमुख कारण सीवरेज व ड्रेनेज सिस्टम ना होना भी था तो पेयजल निगम ने पूरे जोशीमठ क्षेत्र मे घर घर जाकर सर्वेक्षण किया और हर घर को सीवर व ड्रेनेज सिस्टम से जोड़ते हुए डीपीआर तैयार की जिसे टीएसी-टेक्निकल एडवाइजरी कमेटी की स्वीकृति के बाद शासन को भेजा गया। शासन ने स्वीकृति के उपरांत इस महत्वपूर्ण कार्य को उत्तराखंड शहरी क्षेत्र विकास एजेंसी यूयूएसडी को सौंप दिया, संभवतः जोशीमठ भू धसाव की गंभीर स्थिति को देखते हुए उच्च गुणवत्ता के साथ धरातल पर बेहतर कार्यों के लिए ही शासन ने यह निर्णय लिया हो।
पर प्रश्न यह उठना भी लाजमी है कि यदि इसी एजेंसी से कार्य करवाना था तो डीपीआर भी इसी एजेंसी से ही तैयार करवाई जाती, यदि यही एजेंसी सर्वे कर डीपीआर बनाती तो इस एजेंसी के विषय विशेषज्ञ टीम को पुनः घर घर ढूंढ़ने की जरुरत नहीं होती और निर्माण कार्य भी समय से शुरू होते। अब शहरी क्षेत्र विकास एजेंसी के विशेषज्ञ सर्वे करेगे, फिर रिपोर्ट व नक्सा तैयार करंगे उसके बाद टेंडर प्रक्रिया शुरू होगी, इन सब प्रक्रियाओं के होते होते शीतकाल शुरू होगा और औली व सुनील मे निर्माण कार्य करने मे दिक्क़ते भी आएँगी।
भू-धसाव प्रभावित क्षेत्र ज्योतिर्मठ-जोशीमठ मे सीवरेज एवं ड्रेनेज सिस्टम निर्माण के प्रथम चरण के लिए 261 करोड़ 16 लाख रूपये की वित्तीय स्वीकृति हो चुकी है, इस कार्य के लिए पहले अनुरक्षण इकाई गंगा का चयन हुआ, फिर पेयजल निगम का और कार्य की जिम्मेदारी उत्तराखंड शहरी क्षेत्र विकास एजेंसी को सौंपी गई है। जोशीमठ मे सुरक्षात्मक कार्यों व स्थरीकरण व आपदा प्रभावितों की समस्याओं के लिए मुखर विभिन्न संगठन दो टूक कह चुके हैं कि पेयजल निगम द्वारा तैयार की गई डीपीआर के अनुसार ही सीवरेज व ड्रेनेज कार्य किए जाए।
हालांकि सीमांत नगर जोशीमठ के धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए तथा उच्च गुणवत्ता के साथ निर्माण कार्यों को धरातल पर उतारने के लिए ही राज्य सरकार ने यूयूएसडीए का चयन पूरी पारदर्शिता के साथ किया होगा, उम्मीद की जानी चाहिए औली से लेकर मारवाड़ी तक एवं परसारी-मनोटी से लेकर होसी तक का पूरा क्षेत्र सीवरेज एवं ड्रेनेज सिस्टम से आच्छादित होगा और जोशीमठ नगर को भू धसाव की पुनरावृति से बचाया जा सकेगा।
अब देखना होगा कि नई कार्यदायी संस्था उत्तराखंड शहरी क्षेत्र विकास एजेंसी जिसमें विषय विशेषज्ञ की टीम भी मौजूद है, कितनी बेहतरी व उच्च गुणवत्ता के साथ भू धसाव प्रभावित जोशीमठ नगर को संवारने मे अपनी भूमिका निभाएगी इस पर जनवरी 2023 से सुरक्षात्मक कार्यों की वाट जोह रहे भू धसाव आपदा प्रभावितों की नजरें रहेंगी।
(Udaipur Kiran) / प्रकाश कपरुवाण
