RAJASTHAN

ओरण-गोचर क्षेत्रों का संरक्षण जरूरी: डॉ. व्यास

jodhpur

जोधपुर, 6 सितंबर (Udaipur Kiran) ।शुष्क वन अनुसंधान संस्थान (आफरी) जोधपुर एवं अशोका ट्रस्ट फॉर रिसर्च इन इकोलॉजी एवं एनवायरनमेंट (एट्री) के संयुक्त तत्वावधान में राजस्थान के खुले प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्रों के संरक्षण और प्रबंधन के लिए रोडमैप विकसित करने परामर्श-कार्यशाला का आयोजन आफरी में किया गया।

कार्यशाला के मुख्य अतिथि काजरी निदेशक डॉ. सुमंत व्यास रहे। अपने उद्बोधन में डॉ. व्यास ने थार मरुस्थल को प्रगतिशील पारिस्थितिकी तंत्र बताते हुए कहा कि आर्थिक गतिविधियों से खुले पारिस्थितकी तंत्र में हो रही क्षति, पशुधन, चरागाहों एवं ओरण-गोचर क्षेत्रों के संरक्षण एवं समुचित विकास से ही संभव है।

आफरी निदेशक डॉ. आशुतोष कुमार त्रिपाठी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि इस कार्यशाला में सभी के सहयोग, संवाद एवं जिम्मेदारी से खुले पारिस्थितिकी तंत्र के सतत विकास का मार्ग प्रशस्त होगा। कार्यशाला में डॉ. अबी तमीम वनक, डॉ. तरुण कान्त ने भी संबोधन दिया।

कार्यशाला का शुभारम्भ गणमान्य अतिथियों द्वारा घास व वृक्षारोपण एवं दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। अतिथियों ने एट्री के सेंटर फॉर पालिसी डिजाइन द्वारा सैंड एंड ग्रास्सेज ऑफ़-गोल्ड: वैल्यूइंग राजस्थान ओपन नेचुरल इकोसिस्टम फॉर पीपुल, क्लाइमेट एंड बायोडाइवर्सिटी पर पालिसी ब्रीफ लांच किया। साथ ही आफरी अनुसंधान कार्यों पर जारी पेंपलेट्स का विमोचन किया। कार्यशाला के तकनीकी सत्र में आफरी की वैज्ञानिक भावना शर्मा तथा विभिन्न क्षेत्रों से आये विषय विशेषज्ञों ने व्याख्यान प्रस्तुत किए। कार्यशाला का संचालन मीता सिंह तोमर ने किया।

(Udaipur Kiran) / सतीश

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