RAJASTHAN

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के लिए डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने छोड़ी थी कांग्रेस: मदन राठौड़

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के लिए डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने छोड़ी थी कांग्रेस: मदन राठौड़

जयपुर/उदयपुर, 26 जून (Udaipur Kiran) । आपातकाल की 50वीं बरसी पर भारतीय जनता पार्टी, शहर जिला उदयपुर की ओर से आपातकाल संविधान हत्या दिवस एवं लोकतंत्र सेनानी सम्मान कार्यक्रम सुखाडिया रंगमंच पर आयोजित किया गया। कार्यक्रम का आयोजन मुख्य वक्ता राज्यसभा सांसद एवं प्रदेश प्रभारी डॉ राधा मोहन दास अग्रवाल तथा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ। भाजपा प्रदेश प्रभारी डॉ राधा मोहन दास अग्रवाल ने आपातकाल को परिभाषित करते हुए बताया कि देश को दूसरी आजादी आपातकाल हटा तब मिली, गुलामी जरूरी नहीं की कोई विदेशी आक्रांता ही दे, जब व्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन हो जाए तब वह गुलाम कहलाता है, गुलामी सोच एवं स्थिति की होती है। यही कार्य तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से अपने चुनाव रद्द होने पर आपातकाल लगाकर देश को गुलाम बना दिया था। उन्होंने बताया कि कांग्रेस ने आपातकाल के दौरान विपक्षी नेताओं को जेल में भर दिया, प्रेस पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया, पूरे देश में छात्र, किसान, कर्मचारी, न्यायाधीश, सभी की स्वतंत्रता का हनन किया गया।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जीवनी बताते हुए कहा कि 6 जुलाई 1901 को जन्में मुखर्जी बाल्यकाल से ही मेघावी प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। वे उच्च शिक्षा प्राप्त कर बैरिस्टर बने। मुखर्जी पहले व्यक्ति थे जो 32 वर्ष की उम्र में ही वाइस चांसलर बने। 1935 में विधायक बने और बंग—भंग आंदोलन का पुरजोर विरोध कर विधायकी से इस्तीफा दिया। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के लिए डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कांग्रेस पार्टी को छोड़ दिया। वे 1938 में चुनाव लड़कर निर्विरोध विधायक बने, 1942 में मित्र राष्ट्र के लिए लड़ने का विरोध किया। मुखर्जी सुभाष चंद्र बोस की नीतियों के समर्थक रहे। तत्कालीन प्रधानमंत्री ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा दिया तो उन्होंने दो विधान दो प्रधान, दो निशान का पुरजोर विरोध कर नेहरू मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया। एक राजनीतिक दल जनसंघ की स्थापना की, जो आज भाजपा के रूप में वट वृक्ष बन चुका है। देश आजाद हुआ तब पूंजीवाद, साम्यवाद, मार्क्सवाद व लेनिन्वाद का बोलबाला था लेकिन उन्होंने एकात्म मानववाद पर जोर दिया। डॉ मुखर्जी ने बिना परमिट कश्मीर यात्रा की, जिन्हें गिरफ्तार कर लिया गया एवं जेल में ही रहस्यमय तरीके से 23 जून 1953 को उनकी मृत्यु हो गई।

कार्यक्रम से पूर्व डॉ अग्रवाल और राठौड़ ने टाउन हॉल परिसर में शहीद स्मारक पर अमर जवान शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की आदमकद प्रतिमा के सम्मुख पुष्पांजलि अर्पित की। एक वृक्ष मां के नाम अभियान का वृक्षारोपण कर प्रारंभ किया। समारोह में 64 लोकतंत्र सेनानियों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर राज्यसभा सांसद चुन्नीलाल गरासिया सांसद, डॉ मनालाल रावत, विधायक ताराचंद जैन, फूल सिंह मीणा, प्रदेश उपाध्यक्ष मुकेश दाधीच, पूर्व सांसद अर्जुन लाल मीणा, जिला प्रमुख ममता पवार,पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शांतिलाल चपलोत सहित जिला, मंडल, मोर्चा के पदाधिकारी व शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

—————

(Udaipur Kiran)

Most Popular

To Top