Maharashtra

गढ्ढों से बने कृत्रिम तालाबों में मनपा के करोड़ों बर्बाद -डॉ प्रशांत

Tmc wasted Cr of rupees in making ponds in pits
TMC wasted Cr of rupees in making ponds in pits

मुंबई 21अगस्त ( हि.स.) । गणेश चतुर्थी पर मूर्ति विसर्जन के लिए गढ्ढों में बनाए गए कृत्रिम तालाब अब पर्यावरण के अनुकूल न होकर, अपव्यय स्थल बनते जा रहे हैं। लाखों-करोड़ों रुपये बर्बाद होते हैं, स्वास्थ्य संबंधी खतरे पैदा होते हैं और नागरिकों की परेशानी बढ़ती है। पर्यावरणविद् डॉ. प्रशांत रवींद्र सिनकर ने इस गंभीर मुद्दे पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को एक भावुक बयान सौंपा है और ठोस विकल्प सुझाए हैं।

महाराष्ट्र में पर्यावरण के अनुकूल गणेश चतुर्थी की अवधारणा लागू है। इसमें बप्पा की मूर्तियों का विसर्जन मुख्यतः कृत्रिम तालाबों में किया जाता है। हालाँकि, इसके लिए हर साल खुले मैदानों (मैदानों में) में गहरे गड्ढे खोदे जाते हैं, उनमें एचडीपीई तिरपाल की चादरें बिछाई जाती हैं और उनमें पानी भरकर कृत्रिम तालाब बनाए जाते हैं। कुछ ही दिनों में यह तिरपाल फट जाता है, गड्ढों में गंदा पानी जमा हो जाता है और मच्छरों का प्रकोप नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है। इतना खर्च करने के बावजूद, इन तालाबों का उपयोग टिकाऊ नहीं है। नागरिकों के बीच हमेशा यह चर्चा होती है कि यह सरकारी धन की बर्बादी है।

“गणपति बप्पा प्रकृति के देवता हैं। उन्हें विदाई देते समय प्रकृति को नष्ट करना, सरकारी धन की बर्बादी करना और नागरिकों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करना महाराष्ट्र की संस्कृति के अनुकूल नहीं है।” एक बयान में, डॉ. सिंकर ने कहा कि लोग मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से स्थायी और पर्यावरण के अनुकूल उपायों को लागू करने की अपेक्षा करते हैं।

इसके लिए कुछ विकल्प सुझाए गए हैं।

फाइबरग्लास या लोहे के पोर्टेबल तालाब – कई वर्षों तक इस्तेमाल किए जा सकते हैं।

मोबाइल विसर्जन टैंकर/टैंक – सोसायटियों और गणेश मंडलों के लिए स्थल पर ही सुविधाएँ।

समुद्र, खाड़ियों, नदियों और झीलों के किनारे छोटे कृत्रिम तालाब – नियंत्रित विसर्जन के लिए।

पर्यावरण के अनुकूल मूर्तियाँ और बीजारोपण विधियाँ – विसर्जन के बाद मिट्टी पौधों के लिए उपयोगी होती है।

यदि विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में उपरोक्त सुझाए गए विकल्प या कुछ अन्य नए विकल्प खोजे जाते हैं, तो सरकार का करोड़ों रुपये का अपव्यय रुकेगा, नागरिकों को एक स्वच्छ और सुरक्षित व्यवस्था मिलेगी और पर्यावरण को भी बड़ी राहत मिलेगी, डॉ. सिनकर ने दृढ़ विश्वास व्यक्त किया।उल्लेखनीय है कि ठाणे महानगर पालिका द्वारा अब बड़ी छह फुट ऊंचाई की आदमकद गणेश प्रतिमा के लिए अब गढ्ढे और त्रिपाल से ढांके गए कृत्रिम तालाब में विसर्जन की इस साल तैयारी की जा रही है।आम लोगों का कहना है कि अब तक एक या डेढ़ फुट ऊंची प्रतिमाएं ही कृत्रिम तालाब में विसर्जन से आस पास की गंदगी से मच्छरों का प्रकोप होता था जो अब बढ़कर कई गुना होने वाला है।

—————

(Udaipur Kiran) / रवीन्द्र शर्मा

Most Popular

To Top