

मुंबई, 15सितंबर ( हि.स.) । ठाणे में इन दिनों दिन-रात ऑक्सीजन देने वाले पेड़ों के पीछे दीपों की मालाएँ लटकाना एक फैशन तो हो गया है लेकिन यह हरे भरे पेड़ो की साँसों का गला घोंटने जैसा है; त्योहारों का आनंद प्रकृति की बलि देकर नहीं मनाया जाना चाहिए। पर्यावरणविद् डॉ. प्रशांत सिनकर ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को एक भावुक संदेश भेजकर आगामी नवरात्रि, दशहरा, दिवाली, क्रिसमस और नए साल के दौरान पेड़ों पर ख़तरनाक बिजली के तार लगाकर सिर्फ पर्यावरण ही नहीं जान जोखिम के लिए भी कृत्रिम रोशनी से खतरा पैदा हो गया है इसलिए इस पर तत्काल प्रतिबंध लगाने की मांग की है।
त्योहारों के मौसम में, दुकानें और सोसाइटियाँ पेड़ों को बिजली की लड़ियों, हैलोजन और अन्य रोशनियों की मालाओं से सजाती हैं। यह कृत्रिम रोशनी, जो क्षण भर के लिए आकर्षक लगती है इन पर लगे बिजली के तारों के कटने से कई बार शॉर्ट सर्किट होता है जो , पेड़ों के जीवन चक्र को गंभीर रूप से प्रभावित करती है,साथ ही जान जोखिम का खतरा भी बन जाती है।इसी तरह प्राकृतिक तौर पर सूर्यास्त के बाद, जब पेड़ अपनी निद्रा अवस्था में प्रवेश करते हैं, तो कृत्रिम रोशनी उनकी श्वसन प्रक्रिया में बाधा डालती है और जैविक घड़ी को बाधित करती है।
इस विद्युत रोशनी से न केवल पेड़, बल्कि पक्षी और निशाचर जानवर भी नष्ट हो जाते हैं। घोंसले ढह जाते हैं और अंधेरे के आदी जानवरों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाता है। यह रोशनी मानव स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है। अनिद्रा, तनाव और सिरदर्द जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं।
त्योहार आनंद के लिए होते हैं, लेकिन प्रकृति की कीमत पर नहीं। मिट्टी, पानी, पेड़ों और पक्षियों का सम्मान करने से ही प्रकृति की सच्ची पूजा होगी, डॉ. प्रशांत सिंकर ने मुख्यमंत्री फडणवीस से इस त्यौहारी मौसम में पेड़ों पर रोशनी पर सख्त प्रतिबंध लगाने की भावुक अपील करते हुए कहा।
ठाणे के पर्यावरणविद डॉ प्रशांत रवीन्द्र सिनकर ने बताया कि रात में कृत्रिम रोशनी से पेड़ों की दिनचर्या, वृद्धि और स्वास्थ्य, दोनों ही खतरे में पड़ जाते हैं। पेड़ों पर बैठे पशु-पक्षी भी मर जाते हैं, एक तरह से जैव-श्रृंखला बाधित हो जाती है। इसलिए, पेड़ों पर रोशनी रोकना न केवल सौंदर्यपरक बल्कि वैज्ञानिक आवश्यकता भी है।
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(Udaipur Kiran) / रवीन्द्र शर्मा
