

मुंबई,1 सितंबर ( हि.स.) । भक्तों को बप्पा की विदाई में कोई परेशानी न हो के एक ही मंत्र के साथ, समाजसेवी प्रकाश कोटवानी पिछले 27 वर्षों से ठाणे पूर्व के चेंदनी कोलीवाड़ा बंदरगाह स्थित विसर्जन घाट पर निरंतर सेवा प्रदान कर रहे हैं। डॉ प्रशांत रवींद्र सिनकर का कहना है कि बिना किसी लाभ के चकाचौंध से दूर रहकर केवल भक्ति और सेवाभाव से काम करने वाले इस कार्यकर्ता प्रकाश कोटवानी ने ठाणे पूर्व के इस विसर्जन घाट की सूरत बदल दी है।
1998-99 के आसपास यहाँ की स्थिति भयावह थी। नाग और घोंस जैसे ज़हरीले साँपों का डर, बप्पा की dr मूर्ति का कीचड़ में रौंदा जाना और उबड़-खाबड़ ज़मीन पर की जाने वाली अंतिम आरती, विसर्जन घाट की पहचान थी। हालाँकि, इन सबमें भक्तों की दुर्दशा देखकर कोटवानी ने निश्चय किया, इस घाट को बदलना चाहिए! कोटवानी ने बताया कि इसके लिए उन्हें दिवंगत ज़िला प्रमुख आनंद दिघे से बहुमूल्य मार्गदर्शन मिला था। बाद में, निरंतर प्रयासों से यहाँ पक्की सड़क, उचित व्यवस्था और सुरक्षा व्यवस्था बनाई गई।
आज, चेंदानी कोलीवाड़ा बंदरगाह क्षेत्र में स्थित विसर्जन घाट मिनी चौपाटी के नाम से जाना जाने लगा है। प्रकाश कोटवानी कहते हैं कि उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस बदलाव में बहुत बड़ा योगदान दिया है। यहाँ भक्तों को मिलने वाली सभी सुविधाएँ, सुरक्षा का विश्वास और भक्ति भावना, यह सब उनके निरंतर योगदान के कारण ही संभव हो पाया है।
आज, स्थिति पूरी तरह बदल गई है। वाटरफ्रंट विकास के कारण, यह घाट ठाणे का एक प्रमुख विसर्जन घाट बन गया है। यहाँ डेढ़ दिन, पाँच दिन, गौरी-गणपति, सात दिन, ग्यारह दिन तक लगभग ढाई हज़ार मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है। इस दौरान, कोटवानी पिछले 27 वर्षों से हर भक्त की पूरी लगन से जाँच-पड़ताल, पुलिस, अग्निशमन दल, लाइफगार्ड से पूछताछ और बच्चों की सुरक्षा का ध्यान रखते आ रहे हैं।
इधर नाटू परांजपे बसाहट ठाणे पूर्व के विकास पाटील ने बताया कि पिछले पच्चीस वर्षों से चली आ रही इस सेवा ने प्रकाश कोटवानी को न केवल एक समाजसेवी के रूप में, बल्कि बप्पा के विसर्जन घाट के सच्चे ‘रक्षक’ के रूप में भी भक्तों के दिलों में एक जाना-पहचाना नाम बना दिया है।
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(Udaipur Kiran) / रवीन्द्र शर्मा
