

एमजीयूजी के फाॅर्मेसी कॉलेज के पद्मश्री प्रो. रामहर्ष सिंह की पुण्यतिथि पर स्मृति व्याख्यान
गोरखपुर, 21 अगस्त (Udaipur Kiran) । महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय गोरखपुर (एमजीयूजी) के फाॅर्मेसी कॉलेज में पद्मश्री प्रो. राम हर्ष सिंह की पुण्यतिथि के अवसर पर आरोग्य भारती एवं विश्व आयुर्वेद मिशन के संयुक्त तत्वावधान में “भारतीय ज्ञान परम्परा एवं आयुर्वेद विषय पर स्मृति व्याख्यान का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में विश्व आयुर्वेद मिशन के संस्थापक अध्यक्ष एवं आरोग्य भारती की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य डॉ. जीएस तोमर उपस्थित रहे।
अपने संबोधन में डॉ. तोमर ने वेदों को सृष्टि की उत्पत्ति काल से ही ज्ञान का अजस्र स्रोत बताया। उन्होंने कहा कि अथर्ववेद का उपांग होने के नाते आयुर्वेद की प्राचीनता स्वत: प्रमाणित है। भारतीय वांग्मय में आयुर्वेद, योग, प्राकृत विज्ञान, गणित, ज्योतिष, खगोल विज्ञान, विमान शास्त्र एवं धातु विज्ञान की समृद्ध, बहुआयामी, अद्भुत एवं अकल्पनीय ज्ञान परम्परा का दिग्दर्शन होता है। इसकी वैज्ञानिकता आज सम्पूर्ण विश्व मानने लगा है। मंत्रदृष्टा ऋषियों ने अपनी दिव्य दृष्टि एवं अनुभव से जो ज्ञान तत्कालीन ग्रंथों में उकेरा है, वह आज के वैज्ञानिक मापदंडों पर पूरी तरह खरा उतर रहा है। डॉ. तोमर ने कहा कि आयुर्वेद मात्र एक चिकित्सा विधा ही नहीं ,सम्पूर्ण जीवन दर्शन है। इसकी गुणवत्ता पूर्ण औषधियां जहां प्रभावी एवं निरापद हैं, वहीं इसकी आदर्श जीवनशैली वैश्विक धरातल पर अनुकरणीय एवं लोकप्रिय सिद्ध हो रही हैं।
डॉ. तोमर ने कहा कि हम सबके लिए यह प्रसन्नता का विषय है कि नई शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान परंपरा को स्कूलों और विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में शामिल कर लिया गया है। इससे हमारी नई पीढ़ी हमारे ज्ञान परंपरा के गौरव से परिचित हो सकेगी। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान- विज्ञान परंपरा न केवल प्राचीन काल में बल्कि आज भी विज्ञान, चिकित्सा, गणित और अन्य क्षेत्रों में अपनी प्रासंगिकता बनाए हुए हैं। उन्होंने कहा कि विकास के शिखर पर वहीं पहुंचते हैं, जो अपने इतिहास पर गौरवान्वित होकर वर्तमान में कठोर परिश्रम द्वारा ध्येयपथ पर अग्रसर होते हैं।
उन्होंने पद्मश्री प्रो. राम हर्ष सिंह को याद करते हुए कहा कि वह सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें प्रो. सिंह जैसे विद्वान मनीषी के सानिध्य में विद्याध्ययन करने का अवसर प्राप्त हुआ था। प्रो. सिंह ने आयुर्वेद के वैज्ञानिक स्वरूप को विश्व के कोने-कोने तक पहुंचाने में अमूल्य योगदान दिया। स्वागत भाषण दिलीप मिश्रा, अतिथि परिचय प्रवीन कुमार सिंह और आभार ज्ञापन जूही तिवारी ने किया।
(Udaipur Kiran) / प्रिंस पाण्डेय
