Uttar Pradesh

अर्थ-प्रबंधन में वसुधैव कुटुंबकम की भावना को आत्मसात करें: डॉ. दिनेश शर्मा

पुस्तक विमोचन समारोह में डॉ. दिनेश शर्मा

लखनऊ/दिल्ली 05 जुलाई (Udaipur Kiran) । राज्यसभा सांसद एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि अर्थ-प्रबंधन में वसुधैव कुटुंबकम की भावना को आत्मसात किया जाना चाहिए। ऐसा करने से आध्यात्मिक अर्थशास्त्र की संरचना की जा सकती है और यही हमारे एकात्म मानववाद का सिद्धांत भी है।

सर्वे भवंतु सुखिन: की भावना को चरितार्थ करती प्रसिद्ध चार्टर्ड अकाउंटेंट कमलकांत जैन की पुस्तक ‘समभाव और अर्थशास्त्र के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब नई दिल्ली में विमोचन समारोह के अवसर पर पर बोलते हुए डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में अध्यात्मवाद का पुट हमेशा से रहा है। हालांकि आज की तारीख में अर्थ एक आवश्यकता है, लेकिन यह पूर्ण सच नहीं है। उन्होंने कहा कि पुस्तक को पांच अध्याय में बांटा गया है और प्रत्येक अध्याय की संरचना इस प्रकार की गई है कि इसे आद्योपांत पढ़ा जा सकता है। पुस्तक को सृकाल कांत जैन ने अपनी माता जी को समर्पित किया है, यानी उन्होंने पूरे ममत्व भाव से पुस्तक लिखी है। ममत्व यानी सबको साथ लेकर चलना, छोटे-बड़े सभी की जरूरतों को देखते हुए चलना, बैलेंस एक्ट रखना यह इस पुस्तक का निचोड़ है। इस पुस्तक को सभी को पढ़ना चाहिए, ताकि वह अपने निजी जीवन में अर्थ-प्रबंधन के गुर सीख सकें।

डा. दिनेश शर्मा ने कहा कि लेखक ने पुस्तक में मानव-कल्याण के साथ-साथ पर्यावरण और जीव जंतुओं के संरक्षण को भी सर्वोपरि रखा है और यही तो हमारा भारतीय जीवन दर्शन है। हालांकि अर्थशास्त्र और जीवन-दर्शन, अध्यात्म अलग-अलग चीजें हैं, लेकिन पुस्तक को पढ़ते हुए लगता है कि किसी क्षितिज पर ये आपस में मिलते हैं। हमें उस क्षितिज तक पहुंचने का प्रयास करना चाहिए। यह इस बात को उद्धृत करता है की पंडित दीनदयाल उपाध्याय है की एकात्मक मानववाद के दर्शन में भी असमानता को दूर करते हुए सभी के साथ सामान्य व्यवहार और समाज की चिंता के साथ अर्थ प्रबंधन को महत्व दिया है।

(Udaipur Kiran) / बृजनंदन

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